Ideas For India पर प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार, होली के दौरान महिलाओं के खिलाफ हमलों में 170% तक की वृद्धि देखी जाती है। बिहार पुलिस के आंकड़ों पर आधारित इस अध्ययन में यह भी सामने आया कि विभिन्न जिलों में यह आंकड़ा भिन्न-भिन्न हो सकता है। महिलाओं के खिलाफ इस तरह के अपराधों की बढ़ती संख्या यह दर्शाती है कि सार्वजनिक स्थानों पर उनकी सुरक्षा अब भी एक गंभीर चिंता का विषय है।
सुप्रीम कोर्ट में एक एडवोकेट के अनुसार, किसी महिला को उसकी मर्जी के बिना छूना, उसके शरीर पर रंग लगाना या गुब्बारे फेंकना भी अपराध की श्रेणी में आता है। यदि गुब्बारे से चोट लगती है तो इसे हमला माना जा सकता है। यहां तक कि गंभीर चोट लगने पर आरोपी को भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 117(2) के तहत सात साल तक की सजा हो सकती है। इसी प्रकार, BNS की धारा 223 के तहत सार्वजनिक जगहों पर नुकसान पहुंचाने पर छह महीने की सजा या जुर्माना हो सकता है। महिलाओं के साथ अश्लील हरकतें करने पर IPC की धारा 354 के तहत कम से कम एक साल की सजा और जुर्माना तय है। यह अपराध गैर-जमानती है और पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तारी कर सकती है।
Crimes Against Women During Holi: ‘बुरा न मानो होली है’ के नाम पर जबरदस्ती छूना या हाथ मलना अपराध
अक्सर ‘बुरा न मानो होली है’ का तर्क देकर लोग महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार को उचित ठहराते हैं। यह प्रवृत्ति समाज में महिलाओं की सुरक्षा को कमजोर करती है। होली के समय उत्पीड़न की खबरें मीडिया में अक्सर सुर्खियां बनती हैं, जो इस प्रवृत्ति की पुष्टि करती हैं।
होली के दौरान महिलाओं पर अश्लील टिप्पणी या इशारा करना, पीछा करना, IPC की धारा 509 के तहत अपराध है, जिसके लिए एक साल की सजा और जुर्माना हो सकता है। वहीं, अगर किसी महिला के साथ जबरदस्ती या रेप होता है तो IPC की धारा 375 और 376 के तहत 10 साल से लेकर फांसी तक की सजा का प्रावधान है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के मुताबिक, 2022 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 4,45,256 मामले दर्ज किए गए, जो 2021 के मुकाबले 4% अधिक हैं। यह दर्शाता है कि हर घंटे 51 महिलाओं के साथ अपराध होता है। यह आंकड़ा न केवल भयावह है, बल्कि समाज और कानून व्यवस्था के लिए चेतावनी भी है।
होली का त्योहार खुशियों का प्रतीक है, लेकिन इसे महिलाओं के लिए सुरक्षित बनाना भी हमारी जिम्मेदारी है। महिलाओं को चाहिए कि वे ऐसे किसी भी व्यवहार का विरोध करें और जरूरत पड़ने पर कानूनी सहायता लें। साथ ही, समाज को भी महिलाओं की सुरक्षा को लेकर संवेदनशील होना होगा। समाज को यह समझना होगा कि त्योहारों की मस्ती और उल्लास के बीच महिलाओं की गरिमा और सम्मान से कोई समझौता नहीं किया जा सकता। तभी होली वास्तव में रंगों और खुशियों का त्योहार बन सकेगा।