India News (इंडिया न्यूज),Delhi Airport News: आप कोई कागज खरीदने के लिए कितने पैसे खर्च करते हैं, जवाब होगा जैसा कागज वैसी उसकी कीमत। हालाँकि एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे जान आपके भी होश उड़ जाएंगे। दरअसल, कागज के उस टुकड़े की कीमत किसी रद्दी से भी कम रही होगी, वहीँ, दो युवकों ने उसे खरीदने के लिए 31 लाख रुपये खर्च कर दिए। जब इस पूरे खेल का खुलासा हुआ तो दिल्ली एयरपोर्ट पुलिस ने पंजाब से लेकर गुजरात तक की दौड़ लगा दी। इस मामले में एयरपोर्ट पुलिस ने अब गुजरात मूल के कमलकांत सुरेशबाबू झा नामक युवक को अरेस्ट किया है। इस धोखाधड़ी मामले में तीन गिरफ्तारियां पहले ही हो चुकी हैं।
दरअसल, यह पूरा मामला बीते 20-21 मई की रात दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट से शुरू हुआ। उसी रात पंजाब के होशियारपुर शहर के निवासी तरनवीर सिंह और गगनदीप सिंह दोहा के रास्ते रोम (इटली) जाने के लिए आईजीआई एयरपोर्ट पहुंचे। इमिग्रेशन जांच के दरम्यान इन दोनों युवकों के पासपोर्ट पर लगा शेंगेन वीजा फर्जी पाया गया, जिसके बाद दोनों युवकों को हिरासत में लेकर आईजीआई एयरपोर्ट पुलिस को सौंप दिया।
अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (आईजीआई एयरपोर्ट) उषा रंगनानी के अनुसार, पूछताछ के दौरान दोनों आरोपियों ने खुलासा किया कि उन्होंने इस फर्जी शेंगेन वीजा के लिए 31 लाख रुपये खर्च किए थे। यह फर्जी वीजा उन्हें कमलकांत सुरेशबाबू झा नामक एजेंट ने मुहैया कराया था। दोनों आरोपियों ने खुलासा किया कि वे कमलकांत से अहमदाबाद में वीएफएस कार्यालय में मिले थे। कमलकांत ने स्वीडन वीजा के लिए उनका बायोमेट्रिक पंजीकरण और दस्तावेजीकरण किया था।
पूछताछ के दौरान मालूम चला कि कमलकांत ने उन्हें स्वीडन का फर्जी वीजा मुहैया कराया था, जब उनका वीजा अप्लीकेशन खारिज कर दिया गया था। ये फर्जी वीजा एयरपोर्ट पर पकड़े गए और दोनों को धर लिया गया। इस खुलासे के बाद पुलिस ने कमलकांत की तलाश में गुजरात में कई जगहों पर छापेमारी की, लेकिन वह पुलिस की गिरफ्त से भागने में सफल रहा। आखिरकार आरोपी कमलकांत को दिल्ली के एक स्थान से गिरफ्तार कर लिया गया है।
पूछताछ के दरम्यान 22 वर्षीय कमलकांत ने पुलिस को बताया कि वह 10वीं तक पढ़ा -लिखा है और उसके पास ग्राफिक डिजाइन का डिप्लोमा है। कुछ साल पहले उसकी मुलाकात पंजाब के एजेंट लल्ली उर्फ रविंदर सिंह से हुई। एजेंट लल्ली ने उसे विदेश यात्रा के लिए फर्जी वीजा दस्तावेज तैयार करने को कहा। इस काम के लिए उसे 15 लाख रुपये की पेशकश की गई। उसने बताया कि एजेंट अभिनेश सक्सेना से पैसे मिलने के बाद उसने दूसरे एजेंटों की मदद से स्वीडन के फर्जी वीजा तैयार किए और यात्रियों के पासपोर्ट में चिपकाकर उन्हें पहुंचा दिया।