India News (इंडिया न्यूज़),Delhi assembly elections: दिल्ली में विधानसभा चुनाव की तैयारियों का आगाज़ हो चुका है। सियासी हलचल तेज हो गई है और ऐसे में राजनैतिक पार्टियों ने भी कमर कस ली है। राजधानी में होने वाले इन अहम चुनावों में आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी में कड़ा मुकाबला देखा जा सकता है, ऐसे में दोनों ही पार्टियों की तैयारियों भी जोरों-शोरों से शुरू हो चुकी है।
इन सियासी हलचलों के बीच बीजेपी ने एक नारा दे दिया है ‘अब नहीं सहेंगे, बदल कर रहेंगे’। ऐसा माना जा सकता है कि बीजेपी ने दिल्ली की जनता के दिल में अपनी पकड़ मजबूत करने की पूरी तैयारी कर ली है। इस नारे को लेकर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा का कहना है कि ये सीधे तौर पर दिल्लीवालों की भावनाओं को व्यक्त करता है। उनका कहना है कि जिस तरीके से पिछले 10 साल में दिल्ली की हालत हुई उसे देखते हुए दिल्ली की जनता परेशान है और अब बदलाव चाहती है।
इतना ही नहीं इस नारे को लेकर सांसद मनोज तिवारी की प्रतिक्रिया भी सामने आई है। उनका कहना है कि दिल्लीवाले पानी, बिजली, स्वास्थ्य और हर तरह की सुविधाओं से त्रस्त है इसलिए अब माहौल परिवर्तन का है। उन्होंने कहा कि इस बार दिल्ली की जनता ने ठान लिया है कि अब नहीं सहेंगे, बदल के रहेंगे। इतना ही नहीं सांसद मनोज तिवारी का कहना ये भी है कि इस बार पूर्ण बहुमत के साथ दिल्ली में डबल इंजन की सरकार बनने वाली है और जिस तरीके से प्रधानमंत्री मोदी की योजनाओं का लाभ दूसरे राज्यों को मिल रहा है वो आने वाले समय में दिल्लीवालों को भी बीजेपी सरकार में मिलेगा।
इन सभी बयानबाजी के बीच ये कहना गलत नहीं होगा कि बीजेपी पूरी तरह से आप सरकार के खिलाफ माहौल बनाने के लिए ग्राउंड पर सक्रिय हो गई है। हालांकि आम आदमी पार्टी के द्वारा दिल्ली में लॉ एंड ऑर्डर के मुद्दे पर बीजेपी को जमकर घेरने की कोशिश की जा रही है।
आम आदमी पार्टी द्वारा दिल्ली में खराब लॉ एंड ऑर्डर के आरोपों पर सांसद बांसुरी स्वराज की टिप्पणी भी सामने आई है। उनका कहना है कि क्या आम आदमी पार्टी के लिए लॉ एंड ऑर्डर जैसा मुद्दा एक चुनावी जुमला है। इतना ही नहीं उन्होंने अरविंद केजरीवाल से पंजाब में बिगाड़ते हुए लॉ एंड ऑर्डर पर भी सवाल करते हुए पूछा कि पंजाब के एक प्रमुख धार्मिक स्थल के अंदर सुखबीर सिंह बादल जैसे वरिष्ठ नेता पर जानलेवा हमला होता है तब आम आदमी पार्टी चुप क्यों रहती है, तब लॉ एंड ऑर्डर की बात क्यों नहीं की जाती।
ऐसे में ये तो साफ है कि दिल्ली में चुनावी मुद्दे तो बहुत हैं लेकिन दिल्ली की जनता किन मुद्दों को दिमाग में रखकर अपना मुख्यमंत्री चुनती है। आम आदमी पार्टी और बीजेपी दोनों एक दूसरे को कई मुद्दों के बीच घेरे हुए है लेकिन अंत में बाजी किसकी होगी ये देखना दिलचस्प होगा।
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