India News Delhi (इंडिया न्यूज़), Delhi: विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव से पहले जातिगत जनगणना का मुद्दा तेजी से उठा था। कांग्रेस समेत विपक्षी दल जातिगत जनगणना के मुद्दे को जोर-शोर से उठा रहे हैं। वहीं, अब दिल्ली में व्यापारिक संगठन चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) ने जातिगत जनगणना से जुड़ी एक अलग मांग उठाई है। सीटीआई के चेयरमैन बृजेश गोयल ने कहा कि जातिगत सर्वेक्षण के साथ-साथ यह डेटा भी जुटाया जाना चाहिए कि किस जाति के लोग सरकार को कितना टैक्स देते हैं? सीटीआई ने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। सीटीआई की ओर से सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी पत्र भेजा जाएगा।
दिल्ली सीटीआई ने PM मोदी को लिखा पत्र
दिल्ली चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष बृजेश गोयल ने शनिवार को इस मुद्दे पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा, “पिछले कई महीनों से कई राजनीतिक दल जाति जनगणना की वकालत कर रहे हैं। इसके समर्थक किसी भी कीमत पर जाति जनगणना कराना चाहते हैं। चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआई) ने हजारों व्यापारियों, बाजार संघों और उद्योग संघों के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की। सभी की राय थी कि जाति जनगणना के अलावा करदाताओं की जाति जनगणना भी होनी चाहिए। CTI ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भी लिखा है।
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जाति जनगणना का मुद्दा क्या है?
भारत में जाति आधारित डेटा संग्रह का एक लंबा इतिहास रहा है। 1931 तक जनगणना में जातियों की जानकारी शामिल की जाती थी। वर्ष 1951 के बाद केंद्र सरकार ने जाति डेटा संग्रह को रोकने का फैसला किया था। ताकि विभाजनकारी दृष्टिकोण से बचा जा सके और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा दिया जा सके, लेकिन बदली परिस्थितियों में सामाजिक-राजनीतिक गतिशीलता और सटीक जानकारी की आवश्यकता को देखते हुए कांग्रेस सहित कई दलों ने नए सिरे से जाति जनगणना की मांग की है। इस मुद्दे पर राजनीतिक दल दो गुटों में बंटे हुए हैं। इस पर राजनीतिक दलों में आम सहमति नहीं है।
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