India News (इंडिया न्यूज),Delhi HC: दिल्ली हाईकोर्ट ने 2000 में हुई एक व्यक्ति की मौत के मामले में डीडीए को जिम्मेदार ठहराते हुए मृतक के परिवार को 11 लाख रुपये से अधिक का मुआवजा देने का आदेश दिया है।
बता दें यह घटना जुलाई 2000 की है। जब झिलमिल कॉलोनी में डीडीए द्वारा बनाए गए अपार्टमेंट की दूसरी मंजिल की बालकनी गिरने से एक व्यक्ति की जान चली गई थी। न्यायमूर्ति धर्मेश शर्मा की पीठ ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि डीडीए की लापरवाही बालकनी गिरने का प्रत्यक्ष कारण थी। अदालत ने कहा कि डीडीए का दायित्व था कि वह अपने द्वारा आवंटित भवनों के बुनियादी ढांचे की स्थायित्व और दीर्घायु सुनिश्चित करे। पीठ ने यह भी माना कि निर्माण में खामियां स्पष्ट थीं, क्योंकि मात्र पांच-छह साल के भीतर ही भवन का प्लास्टर उखड़ने लगा था।
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डीडीए ने अपने बचाव में दावा किया कि इमारतों का निर्माण 1986-87 में हुआ था और रखरखाव की जिम्मेदारी निवासियों की थी। इसके अलावा, 1993 में क्षेत्र को गैर-अधिसूचित कर एमसीडी को स्थानांतरित कर दिया गया था। हालांकि, अदालत ने यह कहते हुए डीडीए का तर्क खारिज कर दिया कि निर्माण की खामियों की जिम्मेदारी डीडीए पर ही आती है और एमसीडी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। मामले में हाईकोर्ट ने डीडीए को जल्द से जल्द पीड़ित परिवार को मुआवजा देने का निर्देश दिया। यह फैसला बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता और निर्माण एजेंसियों की जिम्मेदारी पर एक अहम संदेश देता है।
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