India News (इंडिया न्यूज),Delhi HC News: दिल्ली के पूर्व कैबिनेट मंत्री सत्येंद्र जैन से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एक अहम मोड़ सामने आया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने आरोपियों वैभव जैन और अंकुश जैन की डिफ़ॉल्ट ज़मानत याचिकाओं को खारिज कर दिया है। इन दोनों ने अपनी याचिका में दावा किया था कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उनके खिलाफ दायर आरोप पत्र अधूरा है, जिसके आधार पर उन्हें डिफ़ॉल्ट ज़मानत मिलनी चाहिए। हालांकि, अदालत ने इस दलील को नकारते हुए ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा।
दिल्ली हाईकोर्ट ने ज़मानत याचिकाओं की खारिज
दिल्ली हाईकोर्ट ने आरोपियों वैभव जैन और अंकुश जैन की डिफ़ॉल्ट ज़मानत याचिकाओं को खारिज कर दिया है। इन दोनों ने अपनी याचिका में दावा किया था कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उनके खिलाफ दायर आरोप पत्र अधूरा है, जिसके आधार पर उन्हें डिफ़ॉल्ट ज़मानत मिलनी चाहिए। हालांकि, अदालत ने इस दलील को नकारते हुए ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। इस मामले में अदालत ने कहा कि डिफ़ॉल्ट ज़मानत देने से इनकार करने वाले ट्रायल कोर्ट के फैसले में कोई खामी नहीं है। न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने साफ किया कि उनका फैसला अभियुक्तों के नियमित ज़मानत पाने के अधिकार को बाधित नहीं करता। इसका मतलब यह है कि आरोपी वैभव और अंकुश जैन नियमित ज़मानत के लिए आगे भी प्रयास कर सकते हैं, लेकिन फिलहाल डिफ़ॉल्ट ज़मानत नहीं दी जाएगी।
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ईडी के आरोप और आरोपियों की भूमिका
प्रवर्तन निदेशालय ने आरोप लगाया है कि वैभव जैन और अंकुश जैन, जो आप नेता सत्येंद्र जैन के व्यापारिक सहयोगी माने जाते हैं, ने मनी लॉन्ड्रिंग में उनकी मदद की। मामला सत्येंद्र जैन से जुड़ी चार कंपनियों के जरिए किए गए वित्तीय अनियमितताओं से जुड़ा है, जिनमें आरोपियों की भूमिका को लेकर जांच चल रही है। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि आरोप पत्र में मुख्य तथ्यों को पेश करने के लिए जो पूरक साक्ष्य दिए गए हैं, वह आरोप पत्र को अधूरा साबित नहीं करते। इस फैसले से स्पष्ट है कि अदालत ने ईडी की ओर से लगाए गए आरोपों को गंभीरता से लिया है और इस मामले की गहराई से जांच की जा रही है।