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प्रदूषण नियंत्रण में सबसे आगे Delhi Metro ,Carbon Credit बेचकर कमाए करोड़ों

India News Editor • LAST UPDATED : September 26, 2021, 9:47 am IST
Delhi Metro, At The Forefront Of Pollution Control, Earned Crores By Selling Carbon Credit
इंडिया न्यूज़ ,नई दिल्ली
पर्यावरण को बचाने और प्रदूषण को नियंत्रित करने में दिल्ली मेट्रो रेल कॉपोर्रेशन सभी सार्वजनिक परिवहन सेवाओं में सबसे आगे है। इस बार दिल्ली मेट्रो ने ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन घटाकर और कार्बन क्रेडिट्स की बिक्री कर पर्यावरण सेवी होने का सबूत न सिर्फ भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी दे दिया है। आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली मेट्रो रेल कॉपोर्रेशन (डीएमआरसी) ने वर्ष 2012 से 2018 तक छह वर्षों के दौरान 3.55 मिलियन कार्बन क्रेडिट्स की बिक्री से 19.5 करोड़ रु. की अच्छी कमाई की है। डीएमआरसी ऐसे कई अन्य प्रोजेक्ट से भी ऊर्जा की बचत कर रही है।
साल 2007 में दिल्ली मेट्रो विश्व की पहली मेट्रो या रेल परियोजना बनी, जिसे क्लीन डेवलपमेंट मेकेनिज्म के अंतर्गत संयुक्त राष्ट्र संघ में रजिस्टर किया गया था। इसके बाद से दिल्ली मेट्रो अपने रीजनरेटिव ब्रेकिंग प्रोजेक्ट के लिए कार्बन क्रेडिट्स क्लेम करने में सक्षम हो सकी। गौरतलब है कि क्लीन डेवलपमेंट मेकेनिज्म क्योटो प्रोटोकॉल के अंतर्गत एक प्रोजेक्ट-आधारित ग्रीन हाउस गैस आॅफसेट मेकेनिज्म उच्च आय वाले देशों में सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों को निम्न और मध्यम आय वाले देशों में ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को कम करने वाले प्रोजेक्ट्स से कार्बन क्रेडिट्स क्रय करने की अनुमति देता है। यह वास्तव में क्योटो प्रोटोकॉल के अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय उत्सर्जन के लक्ष्यों को पूरा करने के प्रयासों का एक हिस्सा है।
दरअसल क्लीन डेवलपमेंट मेकेनिज्म प्रोजेक्ट्स एमिशन क्रेडिट्स उत्पन्न करते हैं जिन्हें सर्टिफाइड एमिशन रिडक्शन कहा जाता है, जिन्हें क्रय किया जाता है और उनसे व्यापार किया जाता है। एक सीईआर एक टन कार्बन डाईआॅक्साइड के उत्सर्जन में कटौती करने के बराबर होता है। क्लीन डेवलपमेंट मेकेनिज्म मेजबान देशों में दीर्घकालिक विकास लाभों के लिए मददगार होता है। क्लीन डेवलपमेंट मेकेनिज्म प्रोजेक्ट्स का प्रबंध कार्य जलवायु प्रणाली में खतरनाक मानवीय हस्तक्षेप से निबटने के लिए स्थापित एक उद्यम यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन एंड क्लाइमेंट चेंज द्वारा किया जाता है। दिल्ली मेट्रो का पहला क्लीन डेवलपमेंट मेकेनिज्म रीजनरेटिव ब्रेकिंग टेक्नोलॉजी पर आधारित था। इस प्रोजेक्ट से वर्ष 2012 तक उत्पन्न कार्बन क्रेडिट्स 9.55 करोड़ रु में बेचे गए थे।
दूसरा क्लीन डेवलपमेंट मेकेनिज्म प्रोजेक्ट मॉडल शिफ्ट के सिद्धांत पर आधारित है। इस प्रोजेक्ट का सार यह है कि मेट्रो में यात्रा करने वाले यात्रियों के कार्बन फुटप्रिंट परिवहन के अन्य माध्यमों द्वारा यात्रा करने वाले लोगों के कार्बन फुटप्रिंट की तुलना में बहुत कम होते हैं। दिल्ली मेट्रो ने अभी तक चार प्रोजेक्ट्स अर्थात् रीजनरेटिव ब्रेकिंग प्रोजेक्ट, मॉडल शिफ्ट प्रोजेक्ट, एमआरटीएस प्रोग्राम आॅफ एक्टिविटीज प्रोजेक्ट और यूएनएफसीसीसी के साथ सोलर प्रोजेक्ट पंजीकृत कराए हैं, जो विश्व में अपने आप में पहले प्रोजेक्ट हैं। इसके अलावा, वर्ष 2014 में दिल्ली मेट्रो प्रतिष्ठित गोल्ड स्टेंडर्ड फाउंडेशन स्विटजरलैंड के साथ पंजीकृत होकर विश्व का सबसे पहला मेट्रो और रेलवे सिस्टम भी बन गया है, जो कार्बन शमन परियोजनाओं के लिए वैश्विक तौर पर स्वीकार्य प्रमाण भी है। अभी तक डीएमआरसी ने गोल्ड स्टेंडर्ड फाउंडेशन के साथ चार प्रोजेक्ट्स का पंजीकरण कराया है।
वर्ष 2015 से दिल्ली मेट्रो भारत में अन्य मेट्रो सिस्टम्स के लिए सीडीएम कंसल्टेंसी सेवाएं भी उपलब्ध करा रही है, जिससे वे अपने-अपने प्रोजेक्ट से कार्बन क्रेडिट्स अर्जित करने में सफल हुए हैं। गुजरात मेट्रो, मुंबई मेट्रो और चेन्नई मेट्रो इत्यादि ने दिल्ली मेट्रो के प्रोग्राम आफ एक्टिविटीज के तहत पहले ही अपने प्रोजेक्ट्स का पंजीकरण करा लिया है जिससे वे कार्बन क्रेडिट्स अर्जित कर पाते हैं और पेरिस करार के अनुपालन में भारत के इन्टेंडिड नेशनली डिटरमिंड कंट्रीब्यूशन में योगदान देते हैं।
वर्ष 2012-18 की अवधि के दौरान, उपर्युक्त उल्लिखित समस्त सीडीएम और गोल्ड स्टेंडर्ड प्रोजेक्ट्स से कंबाइंड ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में 3.55 मिलियन कार्बन क्रेडिट्स की कटौती की उपलब्धि प्राप्त की गई. वर्ष 2012-18 की अवधि के दौरान सीडीएम और गोल्ड स्टेंडर्ड प्रोजेक्ट्स से कार्बन क्रेडिट्स की बिक्री से डीएमआरसी को भारतीय मुद्रा में 19.5 करोड़ रु. का राजस्व प्राप्त हुआ. अत: सीडीएम और गोल्ड स्टेंडर्ड प्रोजेक्ट्स की शुरूआत से भारतीय मुद्रा में कुल 29.05 करोड़ रु. का राजस्व प्राप्त हो चुका है।
वैश्विक कारकों जैसे पेरिस करार इत्यादि के क्रियान्वयन के कारण कार्बन क्रेडिट्स की मांग बढ़ी है। इस अवसर का उपयोग करते हुए, डीएमआरसी वर्ष 2012-18 की अवधि के दौरान अपने समस्त उत्पन्न 3.55 मिलियन क्रेडिट्स की अंतरराष्ट्रीय क्रेताओं मैसर्स साउथ पोल, स्विटजरलैंड, मैसर्स समिट एनर्जी सर्विसेस, संयुक्त राज्य अमेरिका और मैसर्स ईवीआई इंटरनेशनल, सिंगापुर के साथ क्रेडिट्स के ट्रांसफर के लिए एमिशन रिडक्शन परचेज एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करके बिक्री करने में सफल रही है।
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