India News (इंडिया न्यूज),Delhi Pollution News: दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण का स्तर हर साल सर्दियों में गंभीर हो जाता है, लेकिन इसके पीछे केवल पराली जलाने को जिम्मेदार ठहराना सही नहीं है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने संसद में बताया कि प्रदूषण के लिए वाहन, औद्योगिक उत्सर्जन, निर्माण स्थलों की धूल, सड़क किनारे की धूल, बायोमास जलाना और लैंडफिल साइट्स पर आग जैसे कई कारक जिम्मेदार हैं। कम तापमान, स्थिर हवाएं और कम मिश्रण ऊंचाई जैसे मौसमी कारण इन प्रदूषणकारी तत्वों को और अधिक हानिकारक बना देते हैं।
पराली की घटनाओं में आई कमी
पराली जलाने को नियंत्रित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने कई कदम उठाए हैं। सेंटर फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट ने राज्यों को इसके लिए निर्देश दिए हैं। 2022 में पंजाब में पराली जलाने की 48,489 घटनाएं दर्ज हुई थीं, जो 2023 में घटकर 33,719 और 2024 में सिर्फ 9,655 रह गईं। हरियाणा में भी 2022 की 3,380 घटनाएं 2024 में घटकर 1,118 रह गईं। हालांकि, उत्तर प्रदेश में इसमें मामूली वृद्धि दर्ज की गई है।
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पराली से परे हैं प्रदूषण के अन्य कारण
सरकार ने माना कि पराली जलाना चिंता का विषय है और इसका पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। लेकिन सर्दियों में पराली से इतर स्थानीय कारक जैसे वाहनों का धुआं, निर्माण गतिविधियों की धूल, और लैंडफिल साइट्स पर आग की घटनाएं हवा को जहरीला बना देती हैं। ऐसे में पराली पर नियंत्रण के बावजूद दिल्ली गैस चैंबर बनी रहती है।
सर्दियों में सावधानी क्यों जरूरी?
सर्दियों में मौसमी कारक प्रदूषण को और गंभीर बना देते हैं। जब पराली जलाने या पटाखों जैसे अस्थायी प्रदूषणकारी तत्व इन मौसमी परिस्थितियों से जुड़ते हैं, तो यह हवा को और जहरीला बना देते हैं। ऐसे में केवल पराली पर रोक लगाने से समस्या का समाधान संभव नहीं है।