नई दिल्ली (Election Commission of India): पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं। विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को प्रचार के दौरान आचार संहिता का पालन करने को कहा है। चुनाव आयोग ने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान राजनीतिक दल पूजा स्थलों का इस्तेमाल न करें। ऐसा करने वाले दलों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

चुनाव आयोग ने 19 जनवरी को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के निर्वाचन अधिकारियों को पत्र लिखकर उन्हें इस मुद्दे पर 2012 के निर्देशों की याद दिलाई जिसमें कहा गया है कि आदर्श आचार संहिता के प्रावधान के अनुसार चुनाव प्रचार के लिए पूजा स्थलों को एक मंच के रूप में उपयोग करना प्रतिबंधित है।

नियमों के उल्लंघन पर पांच साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान

आयोग के पत्र में कहा गया है कि धार्मिक संस्थान अधिनियम, 1988 की धारा 3, 5 और 6, किसी भी राजनीतिक विचारों के आदान-प्रदान और किसी भी राजनीतिक दल के लाभ के लिए धार्मिक संस्थानों या धार्मिक संस्थानों के धन के उपयोग पर प्रतिबंध लगाती है। इसमें कहा गया है कि इनमें से किसी भी धारा के प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले राजनीतिक दल के सदस्य पर पांच साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। पत्र की एक-एक प्रति सभी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय दलों के नेताओं को भेजी दी गई है।

नागालैंड में चुनाव में रुपये के खर्च की सीमा तय

नागालैंड के मुख्य निर्वाचन अधिकारी वी शशांक शेखर ने शनिवार को कोहिमा में व्यय निगरानी उपाय के संबंध में राजनीतिक दलों के साथ बैठक की। उन्होंने राजनीतिक दलों के प्रत्येक उम्मीदवार के लिए 28 लाख रुपये के खर्च की सीमा का पालन करने की जानकारी दी।

त्रिपुरा में 16 फरवरी, नगालैंड और मेघालय में 27 फरवरी को विधानसभा चुनाव होने हैं और दोनों राज्यों की मतगणना एक ही दिन यानी दो मार्च को होगी। नगालैंड और मेघालय विधानसभा चुनाव के साथ ही लोकसभा की एक और विधानसभा की छह सीटों पर 27 फरवरी को उपचुनाव भी होगा।