इंडिया न्यूज, नई दिल्ली: Harsimrat Kaur Said

शिअद तीन कृषि कानूनों का एक साल पूरा होने पर शुक्रवार को दिल्ली में प्रदर्शन करने जा रहा था। इन्हें दिल्ली के बॉर्डर पर रोक दिया गया। कुछ लोग किसी तरह दिल्ली में प्रवेश कर गये हैं। दिल्ली पुलिस ने बॉर्डर पर बेरिकेड लगा, हैं। अकाली दल के नेता बॉर्डर पर ही बैठे हैं और आगे की राणनीति पर विचार कर रहे हैं। पुलिस ने इस प्रदर्शन कि देखते हुए कई रूट को डायवर्ट कर दिया है।

अकाली दल ने गुरुवार को इस संबंध में जानकारी दी थी कि विरोध मार्च गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब से संसद भवन तक निकाला जाएगा जिसका नेतृत्व शिअद प्रमुख सुखबीर बादल और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल करेंगी। गौर हो कि तीनों कृषि कानून 17 सितंबर 2020 को संसद में पारित हुए थे और हरसिमरत ने इनके विरोध में केंद्रीय मंत्रिपरिषद से इस्तीफा दे दिया था।

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शिअद नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कहा (Harsimrat Kaur Said) कि कई किसान मारे गए हैं और कई अभी भी राज्य की सीमाओं पर बैठे हैं लेकिन यह सरकार (केंद्र) उदासीन है। तीन कृषि कानूनों को निरस्त होने तक हम अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। हरसिमरत कौर बादल ने घटना से जुड़ा वीडियो शेयर किया और केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि देश में अघोषित इमरजेंसी लगी हुई है।

देश की राजधानी दिल्ली के कई रूट बंद होने का असर दिख रहा है। एनएच-9 और एनएच-24 पर भयंकर जाम नजर आ रहा है। पुलिस ने अकाली दल के कई कार्यकतार्ओं को हिरासत में ले लिया है। यमुना ब्रिज विकास मार्ग पर भी गाडियों की लंबी कतार से लोग परेशान हैं। कळड पर लंबा जाम है। राउंड अबाउट पुसा से शंकर रोड की ओर जाने वाला ट्रैफिक पुसा रोड की तरफ डायवर्ट करने का काम किया गया है। दिल्?ली मेट्रो रेल कॉपोर्रेशन ने पंडित श्रीराम शर्मा और बहादुरगढ़ सिटी मेट्रो स्टेशंस के एंट्री और एग्जिट गेट्स बंद को बंद कर दिया गया है। इधर, किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि किसान आंदोलन को एक साल करीब हो गये हैं।

ये आंदोलन कबतक चलेगा पता नहीं। जब पत्रकार ने सवाल किया कि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन है। क्या आपको कोई पीएम से तोहफा मिलने की उम्मीद है। तो राकेश टिकैत ने कहा कि हमें प्रधानमंत्री से कोई उम्मीद नहीं है। हम यही चाहेंगे कि अपने जन्मदिन पर प्रधानमंत्री शहीद किसानों को याद ही कर लें। हम कानून वापसी तक सड़क पर ही रहेंगे। हम यहां से घर वापस नहीं जाएंगे। किसानों को अपना हक चाहिए।

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