इंडिया न्यूज, दिल्ली:
immunity Boosting medicines कोरोना काल में दवाई बाजार पर गहरा असर पड़ा। इम्युनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) बढ़ाने वाली दवाओं की मांग बढ़ी है। हर घर में इम्यूनिटी बूस्टर पहुंच गया है। ऐसे में आयुर्वेदिक दवाओं की बिक्री ने भी रफ्तार पकड़ी है। थोक और फुटकर दवा कारोबार से जुड़े जानकारों की माने तो कोविड की दोनों लहरों में आयुर्वेदिक दवाओं की बिक्री का ग्राफ लगभग 100 गुना बढ़ा है। काढ़ा और अन्य हर्बल उत्पादों के प्रति तो अभी भी भारी क्रेज है। कोविड काल में अस्पताल भर गए। लक्षणों के आधार पर इलाज किया जा रहा था। बाद में पता चला कि वायरस को हराने के लिए मजबूत प्रतिरोधक क्षमता का होना जरूरी है। यहीं से आयुर्वेद के बाजार में बूम आया।
थोक दवा बाजार में साल भर का स्टाक चंद दिनों में खत्म हो गए। आयुर्वेदिक दवाएं बनाने वाली कंपनियां भी हैरत में पड़ गईं। बाजार से दवाएं खत्म हुईं तो आनलाइन बिक्री 100 गुना से भी अधिक बढ़ गई। हर घर में जड़ी बूटियों से बने उत्पाद नजर आने लगे। विशेषकर बच्चों और अधिक उम्र के लोगों के लिए ऐसे उत्पाद रखना जरूरी हो गया। दवा बाजार के जानकारों की मानें तो आयुर्वेदिक उत्पादों की इतनी बिक्री इतिहास में कभी नहीं हुई। कंपनियों ने भी इस मौके को जमकर भुनाया। हर उत्पाद की एमआरपी बढ़ा दी गई। विक्रेताओं के कमीशन में भी इजाफा किया गया।
वरिष्ठ आयुवेर्दाचार्य कविता गोयल, आयुवेर्दाचार्य बी के त्यागी, आयुवेर्दाचार्य के के अग्रवाल व जिला आयुर्वेदिक अधिकारी जे के राना की माने तो कोविड काल में ही नही वर्तमान में भी देशी औषधियों पर अधिक जोर है। मसलन हल्दी, अदरक, काली मिर्च, अश्वगंधा, नीम, तुलसी, पुदीना युक्त औषधियां अब भी हाथों-हाथ बिक रही। डेंगू व वायरल में इनकी बिक्री खूब हो रही है। इनके साथ विटामिन-सी और डी बढ़ाने वाले फामूर्ले भी जमकर खरीदे जा रहे है। इनमें टेबलेट के साथ कैप्सूल और सीरप भी शामिल है।
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