इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
दिल्ली नगर निगम कर्मचारी महासंघ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र (Letter to PM Modi) लिखकर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के तीन नगर निकायों- उत्तर, पूर्व और दक्षिण के विलय की मांग की है। एमसीडी कर्मचारी संघ के परिसंघ ने अपने पत्र में कहा है कि उन्होंने 1957 और 2012 के बीच वेतन में और पेंशन में देरी की समस्याओं का सामना कभी नहीं किया, लेकिन नगर निगम के विभाजन के बाद ये स्थिति उत्पन्न होने लगी है। बता दें कि भाजपा शासित तीनों नगर निकायों के चुनाव अगले छह महीनों में होने वाले हैं। दिल्ली नगर निगम (MCD) को अप्रैल 2012 में शीला दीक्षित सरकार द्वारा तीन भागों में विभाजित किया गया था। नॉर्थ एमसीडी की ओर से वेतन भुगतान में हो रही देरी के कारण पिछले दो वर्षों में, डॉक्टरों, नर्सों, शिक्षकों और स्वच्छता कर्मचारियों की यूनियनों द्वारा कम से कम 12 हड़तालें और विरोध प्रदर्शन हुए हैं। यूनियन ने कहा है कि नगर निगम के तीन भाग में बंटवारे के कारण संसाधनों का असमान वितरण हो गया है और तीन कार्यालयों को अनावश्यक रूप से चलाने के कारण धन की बर्बादी हो रही है। पत्र में कहा गया है, ‘दक्षिण दिल्ली नगर निगम को छोड़कर, उत्तर और पूर्व की वित्तीय स्थिति बहुत गंभीर है। दक्षिण में पड़ने वाले अधिकांश क्षेत्रों में उच्च सर्किल दरें हैं, जिसके कारण क्षेत्र में विभिन्न नगरपालिका करों द्वारा वहां राजस्व वसूली भी अधिक है।’ कंफेडरेशन ने कहा है कि विभाजन के बाद से, वित्तीय बोझ कम से कम तीन गुना बढ़ गया, क्योंकि तीन नागरिक निकायों को आयुक्तों और अन्य उच्च अधिकारियों, तीन महापौरों और उप महापौर, अध्यक्ष स्थायी समितियों के अध्यक्ष और उनके उपाध्यक्षों के साथ-साथ क्षेत्रीय विशेष समितियों के तीन प्रशासनिक ढांचों को पूरा करना पड़ रहा है। पत्र में कहा गया है, ‘पुरानी 20 एमसीडी समितियां तीन गुना से अधिक बढ़कर अब 75 समितियों तक पहुंच गयी हैं। तीन भाग में विभाजित किये जाने से पहले, एकीकृत एमसीडी के कामकाज को नियंत्रित करने के लिए केवल एक महापौर, एक आयुक्त और स्थायी समिति का एक अध्यक्ष होता था। उनके कार्यालयों और अन्य कार्यों पर होने वाला खर्च मौजूदा निगमों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ है।