India News (इंडिया न्यूज),Rabies Symptoms: दूध को स्वास्थ्यवर्धक और पोषण से भरपूर माना जाता है, लेकिन ग्रेटर नोएडा में रहने वाली एक महिला के लिए यह जहर साबित हुआ। महिला ने एक संक्रमित गाय का दूध पी लिया था, जिसे रेबीज से ग्रसित कुत्ते ने काट लिया था। इस कारण महिला भी खतरनाक वायरस की चपेट में आ गई और अंततः उसकी मौत हो गई।

संक्रमित जानवरों के दूध से फैल सकता है वायरस

जानकारी के मुताबिक, संक्रमित दूध पीने के बाद महिला में धीरे-धीरे रेबीज के लक्षण दिखाई देने लगे। परिवार के लोग उसे कई अस्पतालों में ले गए, लेकिन कोई विशेष मदद नहीं मिल पाई। इस दौरान महिला को रेबीज का टीका नहीं लगाया गया था, जिससे संक्रमण तेजी से बढ़ता चला गया और अंततः उसकी जान चली गई।विशेषज्ञों का कहना है कि रेबीज वायरस केवल काटने से ही नहीं, बल्कि संक्रमित जानवरों के दूध के जरिए भी फैल सकता है। यदि ऐसा दूध बिना उबाले पिया जाए, तो संक्रमण का खतरा और बढ़ जाता है। इसीलिए डॉक्टर सलाह देते हैं कि किसी भी अनजान या बीमार जानवर के दूध का सेवन न करें और दूध को हमेशा अच्छी तरह उबालकर ही पिएं।

रेबीज वायरस: सीधा दिमाग पर करता है हमला

रेबीज वायरस बेहद खतरनाक होता है, क्योंकि यह सीधे दिमाग पर असर डालता है। एक बार वायरस दिमाग तक पहुंच गया, तो इसे रोक पाना लगभग असंभव हो जाता है। शुरुआती चरण में यह बुखार, सिरदर्द, कमजोरी और बेचैनी जैसे लक्षण पैदा करता है। लेकिन जब यह आगे बढ़ता है, तो भ्रम, आक्रामकता, निगलने में दिक्कत, पानी से डर लगना और लकवे जैसी गंभीर समस्याएं होने लगती हैं।

क्यों जरूरी है रेबीज का टीका?

रेबीज वायरस से बचाव का सबसे कारगर तरीका टीकाकरण है। अगर किसी को संक्रमित जानवर काट ले, तो उसे तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर टीका लगवाना चाहिए। यह गलती कभी नहीं करनी चाहिए कि लक्षण दिखने का इंतजार किया जाए, क्योंकि लक्षण प्रकट होने के बाद इस बीमारी का इलाज संभव नहीं होता। ग्रेटर नोएडा की इस घटना में भी आसपास के लोगों ने महिला को रेबीज का टीका लगवाने की सलाह दी थी, लेकिन उसने इसे नजरअंदाज कर दिया। कुछ दिनों बाद उसके अंदर वायरस के लक्षण दिखने लगे, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

कैसे करें बचाव?

विशेषज्ञों के मुताबिक, रेबीज से बचने के लिए कुछ अहम सावधानियां बरतनी जरूरी हैं—

1. किसी भी आवारा या संदिग्ध जानवर के संपर्क में आने से बचें।
2. अगर किसी जानवर ने काट लिया हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और रेबीज का टीका लगवाएं।
3. किसी भी अनजान गाय या अन्य दूध देने वाले जानवर का दूध कच्चा न पिएं, उसे अच्छी तरह उबाल लें।
4. अगर कोई पालतू जानवर पाल रहे हैं, तो समय-समय पर उसे रेबीज का टीका जरूर लगवाएं।

रेबीज के लक्षण नजरअंदाज करना पड़ सकता है भारी

यह वायरस जानवरों से इंसानों में फैलता है और अगर इसका समय पर इलाज न किया जाए, तो यह घातक साबित हो सकता है। आमतौर पर संक्रमण के कुछ हफ्तों या महीनों बाद लक्षण दिखने लगते हैं, जिसमें बुखार, सिरदर्द, कमजोरी और काटे गए स्थान पर खुजली या जलन महसूस होना शामिल है। जैसे-जैसे यह वायरस दिमाग में फैलता है, वैसे-वैसे मानसिक अस्थिरता, भ्रम, आक्रामकता, निगलने में परेशानी, राल टपकना और लकवे जैसी गंभीर समस्याएं सामने आने लगती हैं। यह स्थिति कोमा और अंततः मृत्यु का कारण बन सकती है।

रेबीज को हल्के में लेना पड़ सकता है भारी

ग्रेटर नोएडा की इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि रेबीज को हल्के में लेना जानलेवा हो सकता है। संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने या उनके दूध का सेवन करने से पहले पूरी सावधानी बरतनी चाहिए। जागरूकता और समय पर इलाज से इस घातक बीमारी से बचा जा सकता है।

‘मुसलमान वोटर नहीं छिटकना चाहिए, हिंदू चाहे इधर-उधर हो जाए तो चलेगा’; तेजस्वी यादव हमारे लिए… बाकी दल अपना देख लें