Omicron’s Reproductive Rate a Concern
इंडिया न्यूज़,नई दिल्ली
Omicron’s Reproductive Rate a Concern: ओमिक्रॉन दुनिया के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है। दुनियाभर के देशों की चिंता का कारण तेजी से फैल रहा कोरोना का नया वैरिएंट है। बेशक अभी तक इस वायरस से विश्व में कहीं कोई मौत न हुई हो। लेकिन चिंता का विषय यह है कि ओमिक्रॉन की आर वैल्यू(रिप्रोडक्टिव रेट) का अधिक होना माना जा रहा है। साधारण शब्दों में कहें तो कोरोना के डेल्टा वैरिएंट को जिस स्तर पहुंचने के लिए करीब तीन महीने का समय लगा था। ओमिक्रॉन महज 10 दिनों के अंदर ही उस स्तर तक पहुंच गया है।
विदेशों से आने वाले 10 लोग निकले कोरोना संक्रमित (Omicron’s Reproductive Rate a Concern)
Omicron’s Reproductive Rate a Concern: एक बार फिर दुनिया कोरोना की गिरफ्त में जाती प्रतीत हो रही है। वहीं कई देशों ने वायरस को रोकने के लिए विदेशी उड़ानों के भी पंख कुतर दिए हैं। इन सब के बीच भारत में एक दिसंबर तक विदेशी धरती से कुल 7 हजार 976 लोग आए हैं। इन सभी की कोरोना जांच की गई तो पता चला कि 10 लोग कोरोना संक्रमित हैं। ऐसे में सभी 10 लोगों के सैंपल जीनोम जांच के लिए भी भेज दिए गई हैं। भेजे गए सैंपलों की रिपोर्ट आने का इंतजार एजेंसियां कर रही हैं।
30 देशों में फैला ओमिक्रान (Omicron’s Reproductive Rate a Concern)
Omicron’s Reproductive Rate a Concern: ओमिक्रॉन का नया स्वरूप कुछ दिन पहले तक दक्षिण अफ्रीका तकह ही सीमित था। अब यह दुनिया के 30 देशों में पहुंच गया है। नया वायरस के सबसे अधिक केस दक्षिण अफ्रीका में ही मिल रहे हैं। यहां पहले एक ही मामला सामने आया था अब संक्रमितों की संख्या 183 पहुंच चुकी है। वहीं अन्य देशों में भी कोरोना के नए मामले सामने आने से प्रभावित देशों की चिंताएं बढ़ गई हैं। दूसरी ओर भारत में गत दिवस कर्नाटक में नए वायरस के दो मामले सामने आए थे। जिनमें से डॉक्टर शामिल हैं तो वहीं दूसरा संक्रमित 60 साल से अधिक का बताया जा रहा है।
स्पाइक प्रोटीन के लिए डब्ल्यूएचओ चिंतित (Omicron’s Reproductive Rate a Concern)
Omicron’s Reproductive Rate a Concern: विश्व स्वास्थ्य संगठन ओमिक्रॉन के लिए इस लिए चिंतित है क्योंकि इस वायरस का स्पाइक प्रोटीन पहले आए संक्रमण से अधिक शक्तिशाली है। इसलिए यह तेजी से फैल रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह वायरस इतना प्रभावशाली है कि किसी भी शख्स की कोशिकाओं में प्रवेश करते हुए सीधे संक्रमित हुए मानव के फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है। ऐसे में इससे बचाव का एकमात्र रास्ता है कि कोविड नियमों का सख्ती से पालन करें। क्योंकि लापरवाही जान पर भारी पड़ सकती है।
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