India News (इंडिया न्यूज), Delhi News: झुग्गी झोपड़ी क्लस्टर में रहने वाले लोगों की किस्मत भले ही ना चमके, बहती गंदी नालियों में रहने को मजबूर हो, लेकिन, इनके वोट से नेताओं की किस्मत जरूर चमकती है। जी हां दिल्ली की बात कर रहे हैं जहां अगले महीने 5 फरवरी को चुनाव है। दिल्ली में विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए आप, भाजपा और कांग्रेस ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है।
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दिल्ली का हर चौथा मतदाता झुग्गियों में रहता है और यही लोग चमकर लोकतंत्र के महापर्व वोटिंग में हिस्सा भी लेते हैं। ऐसे में सभी पार्टियां अपने अपने लेवल पर इनके हमदर्द जताने में लगे हैं। देश की राजधानी दिल्ली में 18 विधानसभाओं झुग्गियां क्लस्टर हैं। मतलब इन सभी बाबरपुर, तुगलकाबाद, राजेंद्र नगर, वजीरपुर, कोंडली, ओखला, मोतीनगर, मॉडल टाऊन, आदर्श नगर, नरेला, मादीपुर, किराड़ी, मटियाला, त्रिलोकपुरी, सीमापुरी, अंबेडकर नगर, बदरपुर और शालीमार बाग में झुग्गियों में रहने वाले लाखों वोटर्स दिल्ली की सत्ता का फैसला करते हैं। लेकिन, इनकी सुध लेने वाला नहीं है। राजधानी की झुग्गियों में रहने वाली हर दूसरी महिलाएं यानी 48 फीसदी शारीरिक और मानसिक शोषण के शिकार होती हैं, जबकि, 32 फीसदी से अधिक आबादी 1 कमरे के मकानों में रहने को मजबूर हैं। इन सबका असर बच्चों के विकास पर भी देखने को मिलता है।
एक एनजीओ के आंकड़े के मुताबिक, दिल्ली की झुग्गी झोपड़ी क्लस्टरों की साक्षरता दर 56 % है, जबकि,46 फीसदी बच्चे 10 वीं क्लास तक ही पढ़ाई कर पाते हैं मतलब, यहां के करीब 50 फीसदी बच्चे हाई स्कूलों के शक्ल नहीं देख पाते हैं। अब ज्यों ज्यों दिल्ली विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं वैसे सभी पार्टियां इन्हें लुभाने में जुटी है। साल 2013 से फ्री बिजली और पानी की वजह से झुग्गीवासियों के दिल जीतने में अरविंद केजरीवाल कामयाब रहे हैं और आप सत्ता में आई है। कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया। वहीं, इस बार इनके वोट को हासिल करने के लिए बीजेपी लगातार इनके साथ झुग्गियों में जाकर समस्याओं को समझ रही है, इनके नेता झुग्गी में रात गुजार रहे हैं, वादे कर रहे हैं, “जहां झुग्गी, वहीं मकान” कार्यक्रम के तहत पीएम मोदी ने अशोक विहार झुग्गीवासियों को 1675 फ्लैट्स की चाभी सौंपी। बीजेपी के नेता लगातार इनसे संवाद कर रहे हैं। वहीं, कांग्रेस के नेता और उम्मीदवार शीला दीक्षित के विकास कामों को लेकर इन्हें लुभा रहे हैं।
दिल्ली में देखें तो करीब 1800 अवैध झुग्गी, झोपड़ी और कच्ची कॉलोनियों हैं जिनमें तकरीबन 3.5 लाख परिवार वाले रहते हैं, जबकि, इनमें करीब 20 लाख से अधिक वोटर्स रहते हैं। दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (DUSIB) की रिपोर्ट के आधार पर दिल्ली में 675 झुग्गी-झोपड़ियाँ हैं जिनमें लगभग 15.5 लाख लोग रह रहे हैं। दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने 2022-23 में 8,379 लोगों का पुनर्वास किया है जिनमें 212.73 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। साल 2015 में आम आदमी इन गरीबों का 66 फीसदी वोट हासिल कर विधानसभा में 67 सीटें थी , जबकि, साल 2020 में AAP ने इन गरीबों के 61% वोट हासिल कर 62 सीटें जीती थी। वहीं, साल 2019 और साल 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सातों के सातों सीटें जीती थी।
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