PM’s Announcement
इंडिया न्यूज नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन कृषि कानून की वापसी का ऐलान कर विपक्षी पार्टीयों को न सिर्फ चुप कर दिया है। बल्कि देश में चल रही बड़ी बहस पर विराम लगा दिया है। पीएम का यह बयान राजनीति से जोड़कर भी देखा जा रहा है। गौर तलब है कि हाल ही में देश के पांच राज्यों में 29 विधानसभा समेत लोकसभा सीटों पर उपचुनाव हुए थे। जिसमें भाजपा को कई राज्यों में करारी हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे में अब जब अगले साल देश के कई राज्यों में आम चुनाव होने हैं तो प्रधानमंत्री मोदी का कृषि कानून वापस लेने का फैसला विपक्षी पार्टियों की राजनीति पर ग्रहण लग सकता है।
पीएम नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभालते ही देश में चले आ रहे कई कानून ऐसे बनाए हैं जिनकी सराहना की गई है। जिसमें कश्मीर में धारा 370 का हटाना हो, वहीं सदियों से जुल्म का शिकार बन रही मुस्लिम महिलाओं को राहत देते हुए तीन तलाक को बंद करना हो। यही नहीं प्रधानमंत्री ने घुसपैठियों पर लगाम लगाने के लिए एनआरसी कानून बनाया जिस पर काम किया जा रहा है। प्रधानमंत्री का कहना है कि हमने किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए कृषि कानून एक बनाया था। लेकिन हम किसानों को समझाने में असफल रहे हैं। ऐसे में अन्नदाता की मांग को देखते हुए हम इसे रद्द करने जा रहे हैं।
जब से कृषि कानूनों को लेकर किसानों ने प्रदर्शन करना शुरू किया है तब से ही हरियाणा-पंजाब के अधिकतर गांवों में प्रवेशद्वार पर एक बोर्ड चस्पा दिया गया है कि कृषि कानून की वापसी तक भाजपा नेता गांव में घुसने की कोशिश न करें। किसानों के मुखर होने के कारण ही हरियाणा के पंचायती राज चुनाव नहीं हो पाए हैं। वहीं पीएम की घोषणा के बाद क्या अब भाजपाई गांवों में जाकर पार्टी का प्रचार प्रसार कर पाएंगे। वहीं क्या अब गांव में लगे विरोधी बोर्ड उतर जाएंगे या संसद के शीतकालीन सत्र तक जस के तस लगे रहेंगे ।
उपचुनावों में भारतीय जनता पार्टी की हार के पीछे कृषि कानून और महंगाई के अहम मुद्दे रहे। कई राज्यों में मिली हार के बाद भाजपा की कोर कमेटी की बैठक हुई जिसमें हार के कारणों की समीक्षा की गई। इस बैठक में सभी पदाधिकारियों ने कृषि कानूनों के साथ-साथ मंहगाई को लेकर विस्तृत चर्चा की। कोर कमेटी ने यह भी पाया कि देश में बढ़ रही मंहगाई भी अहम मुद्दा रही है। केंद्र सरकार ने भाजपा शासित राज्यों को निर्देश दिए कि वह अपने यहां पेट्रोलियम पदार्थ पर लगे वैट को कम कर जनता को राहत दे। ऐसे में संभव है कि अगले साल होने वाले चुनावों को देखते हुए पेट्रोलियम पदार्थों के दामों में सरकार कटौती कर सकती है।
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