Professor’s Controversial Statement
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
केरल में लव जिहाद के बाद अभी नारकॉटिक्स जिहाद का का मसला अभी थमा भी नहीं था कि दिल्ली यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर ने मार्क्स जिहाद जैसा विवादित ब्यान देकर बड़ी बहस का मुद्दा छेड़ दिया है ।केरल बोर्ड पर टिप्पणी करते हुए प्रो. ने कहा है कि सैंकड़ों छात्र मुख्य चार विषयों में 100 प्रतिशत अंक कैसे हासिल कर सकते हैं। उन्होंने कहा है कि महज तीन साल पहले डीयू में इनकी संख्या केवल तीन थी जो अब 205 हो चुकी है।
साल दर साल केरल के विद्यार्थियों की डीयू में बढ़ती संख्या किसी साजिश की ओर इशारा कर रही है। ऐसे में दाखिला एंट्रेंस टेस्ट के बाद ही होना चाहिए। ऐसा उन्होंने तब कहा जब कॉलेज में 20 सीटों वाले पाठ्क्रम में 26 छात्रों को इस लिए दाखिला देना पड़ा क्योंकि सब के अंक शत-प्रतिशत थे। प्रो. राकेश कुमार पांडे द्वारा उठाए गए सवाल तब अहम हो जाते हैं क्योंकि वह आरएसएस के स्वयंसेवक रहा चुका है। वहीं संघ की बनाई गई नेशनल डेमोक्रेटिक अध्यापक संघ के पूर्व अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
प्रो. पांडे ने जिहाद की परिभाषा बताते हुए कहा है कि जब कोई काम किसी खास धर्म की विचारधारा को फैलाने के लिए किया जाता है तो उसे जिहाद कहा जाता है। उन्होंने कहा कि लव को मैनिपुलेट कर लव जिहाद, नशे की लत में धकेलने को नारकॉटिक्स जिहाद। उसी प्रकार अंकों के माध्यम से विशेष विचारधारा को फैलाने का काम किया जा रहा है।
प्रो. पांडे ने कहा कि 2016 से लेकर 2020 तक का डाटा जमा किया गया है। जिसके बाद प्रोफेसर ने 9 दिसंबर 2020 में एक ब्लॉग में लिखा था-वार्निंग साइन। इसमें केरल बोर्ड से आने वाले विद्यार्थियों की साल दर साल बढ़ रहे ग्राफ पर चिंता जाहिर की थी। वहीं उन्होंने कहा कि इस तरह की साजिशों के सीधे सबूत मिलना मुश्किल होता है। क्योंकि न तो इसमें कोई हथियार प्रयोग होता है न ही कोई अपराधी, लेकिन जब इस तरह के मामलों को गहनता से लिया जाए तब जाकर पता चलता है कि आखिर सामने वाले की मंशा है क्या। जिसको कामयाब करने के लिए ऐसे लोग हर बार अपनी रणनीति में बदलाव करते रहते हैं।
यह वह राज्य है जहां मुख्यमंत्री पिनराई विजयन राज्य में सबसे ज्यादा समय (1998 से लेकर 2015) तक सीपीआईएम की राज्य कमेटी के अध्यक्ष रह चुके हैं। अब देश में केवल केरल राज्य में ही लेफ्ट विचारधारा वाली सरकार चल रही है। प्रो. पांडे का आरोप है कि जेएनयू के बाद अब डीयू को भी वामपंथी विचारधारा का अड्डा बनाने की कोशिश की जा रही है। आरएसएस के संस्था एनडीटीएफ के प्रधान एके बागी ने प्रो. के बयानों से किनारा करते हुए कहा है कि प्रोफेसर की यह निजी राय हो सकती है। वहीं हमारी संस्था में उसका कोई पद नहीं है।
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