India News (इंडिया न्यूज),Rani Lakshmi Bai Statue Dispute: दिल्ली हाईकोर्ट ने एक अक्टूबर 2024 को स्पष्ट किया कि रानी लक्ष्मीबाई कोई धार्मिक हस्ती नहीं हैं, और अदालत नहीं चाहती कि इस मुद्दे को बेवजह विवाद का विषय बनाया जाए। यह टिप्पणी उस समय आई जब सदर बाजार इलाके में शाही ईदगाह के पास रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति लगाने को लेकर विवाद ने तूल पकड़ा। मूर्ति लगाने का काम फिलहाल रोक दिया गया है, लेकिन क्षेत्र में बढ़ते तनाव को देखते हुए भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है।
कोर्ट- स्वतंत्रता संग्राम को न भूलें
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडला की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि अदालत को इस मूर्ति के विरोध का कोई उचित कारण समझ में नहीं आ रहा है। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि रानी लक्ष्मीबाई 1857 की पहली स्वतंत्रता संग्राम की नायिका हैं और उन्हें धार्मिक हस्ती के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। अदालत ने यह भी कहा कि विरोध करने वाले पक्ष को समझदारी से काम लेना चाहिए, क्योंकि यह मामला धार्मिक नहीं है और बेवजह विवाद खड़ा करने की जरूरत नहीं है।
क्या है मामला?
दरअसल, झंडेवालान चौक पर लगी रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति को ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने के लिए मोतिया खान में शिफ्ट करने की योजना बनाई गई थी। इसके लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) ने अपनी जमीन दी थी, जिस पर शाही ईदगाह कमेटी ने दावा किया कि वह जमीन वक्फ बोर्ड की है। यह विवाद तब और गहरा गया जब ईदगाह समिति ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई के दौरान पीडब्लूडी की 2016-17 की योजना का जिक्र किया गया, जिसके तहत रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति को देशबंधु गुप्ता रोड पर शिफ्ट करने का प्रस्ताव था।
तनावपूर्ण माहौल में पुलिस की तैनाती
विवाद को देखते हुए इलाके में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। दिल्ली विकास प्राधिकरण के अधिकारी भी मौके पर निरीक्षण के लिए पहुंचे हैं।
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