इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
अदालत ने शुक्रवार को गैंगस्टर बने सामाजिक कार्यकर्ता लक्खा सिधाना को गणतंत्र दिवस पर लाल किले (Red Fort Violence) में किसानों की विरोध रैली के दौरान कथित तौर पर पुलिस कर्मियों को मारने के प्रयास और भीड़ को बैरिकेड तोड़ने के लिए उकसाने से जुड़े एक मामले में अग्रिम जमानत दे दी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जगदीश कुमार ने सिधाना को राहत देते हुए कहा कि वह पहले ही जांच में शामिल हो चुके हैं और उसे हिरासत में लेने का कोई औचित्य नहीं है।
अदालत ने 26 जनवरी को लाल किले में हुई हिंसा से संबंधित साजिश के मामले में उन्हें जमानत दे दी है। सिधाना ने संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर में किसानों और पुलिस के बीच हुई झड़प से जुड़े मामले में अग्रिम जमानत मांगी थी। अदालत ने अभियोजन पक्ष के उस तर्क को खारिज कर दिया कि भले ही वह जांच में शामिल हो गया है, लेकिन उसके द्वारा पुलिस को सौंपे गए मोबाइल फोन में से एक को पासवर्ड से सुरक्षित रखा जाता है और उसे खोला नहीं जा सका। सिधाना ने पासवर्ड देने से इनकार कर दिया है।
अदालत ने कहा कि सिधाना ने स्वीकार किया है कि वह भीड़ का हिस्सा था। आरोपी की अग्रीम जमानत स्वीकार करते हुए अदालत ने उसे जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया है। हालांकि पुलिस ने कहा कि सिधाना गैरकानूनी सभा का हिस्सा था और उसने कुछ पुलिस अधिकारियों को मारने का प्रयास किया और भीड़ को बैरिकेड तोड़ने के लिए उकसाया। इसके अलावा आरोपी ने बैरिकेड तोड़ने के बाद जश्न मनाने के लिए कुछ लोगों को गले भी लगाया। उन्होंने बताया कि सिधाना इस समय हत्या और हत्या के प्रयास से जुड़े 20 जघन्य मामलों में शामिल है।
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