इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Gujrat के सीएम विजय रूपाणी ने आज अचानक इस्तीफा दे दिया। इसके बाद गुजरात की राजनीति में सियासी हलचल तेज हो गई है कि ऐसी क्या वजह रही होगी कि अचानक से विजय रूपाणी को इस्तीफा देना पड़ा। वहीं उनके इस्तीफे के बाद अब केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया, नितिन पटेल, सीआर पाटिल और पुरषोत्तम रुपाला में से CM बनने की अटकले चल रही हैं। क्या आप जानते हैं कि विजय रूपाणी गुजरात के ऐसे मुृख्यमंत्री हैं जो पहली बार विधायक बनते ही मुख्यमंत्री भी बन गए। स्वच्छ छवि और सलीके से काम करने के लिए मशहूर रूपाणी को गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का काफी करीबी माना जाता है। विजय रूपाणी आनंदीबेन सरकार में परिवहन मंत्री के रूप में जिम्मेवारी निभा रहे थे। वे गुजरात के ऐसे अकेले भाजपा मंत्री है जो इमरजेंसी के दौरान जेल भी जा चुके हैं। हरियाणा के मनोहर लाल खट्टर भी पहली बार विधायक बनने के बाद सीएम बने। ये दोनों नेता पुराने संघनिष्ठ रहे हैं। बता दें कि विजय रूपाणी के अलावा हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी ऐसे सीएम हैं जो पहली बार विधायक बने और पहली बार में ही CM का ताज पहन लिया। खट्टर भी दूसरी बार CM बन चुके हैं।

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2 बार बन चुके गुजरात के सीएम

रूपाणी ने पहली बार सात अगस्त 2016 को पहली बार गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। इसके बाद 2017 में विधानसभा चुनाव हुए, जिसमें भाजपा ने 182 सीटों में से 99 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया और रूपाणी दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। रूपाणी ने 26 दिसंबर 2017 को दूसरी बार गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।

एबीवीपी से जुड़कर की थी राजनीतिक करियर की शुरूआत

समुदाय से ताल्लुक रखने वाले रूपाणी का जन्म 2 अगस्त 1956 को रंगून म्यांमार में हुआ। कारोबार के लिए वहां गये इनके पिता चार साल बाद गुजरात लौट आये। रूपाणी ने कानून की पढ़ाई की है। 1971 में जनसंघ से जुड़ने वाले रूपाणी ने एबीवीपी से जुड़कर छात्र नेता के रूप में अपना राजनीतिक कॅरियर आरंभ किया। वे शुरूआत से ही संघ से जुड़े रहे। वर्ष 2006 से 2012 तक राज्यसभा सांसद थे। रूपाणी राजकोट पश्चिम से विधायक हैं।

ऐसा पल भी आया, जब राजनीति छोड़ना चाहा

लगभग 17-18 साल पहले विजय रूपाणी के जीवन में ऐसा पल आया था जब चारों ओर अंधेरा छा गया हो। हो भी क्यों न घर का चिराग जो बुझ गया था। दरअसल, रूपाणी के बेटे की छत से गिरकर मौत हो गई थी, उस समय उन्होंने राजनीति छोड़ने का मन बना लिया था।

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