India News (इंडिया न्यूज़), Satyendra Jain, दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली के पूर्व मंत्री सत्येन्द्र जैन को चिकित्सा आधार पर दी गई अंतरिम जमानत अगले आदेश तक बढ़ा दी। न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की पीठ ने जैन को दी गई अंतरिम जमानत बढ़ा दी और मामले को 24 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया। जैन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एएम सिंघवी ने शीर्ष अदालत को बताया कि तीन अस्पतालों, जीबी पंत, अपोलो और मैक्स ने ऑपेशन की रिफारिश की है।

  • हाईकोर्ट ने नहीं दी थी जमानत
  • 30 मई 2022 को हुए गिरफ्तार
  • 26 मई को मिली अंतरिम जमानत

प्रवर्तन निदेशालय की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कोर्ट से आग्रह किया कि जैन को स्वतंत्र मूल्यांकन के लिए एम्स में चिकित्सा जांच कराने के लिए कहा जाए। उन्होंने तीनों अस्पतालों के रिपोर्ट पर संदेह जताया। सुप्रीम कोर्ट ने 26 मई को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सत्येंद्र जैन को छह सप्ताह के लिए अंतरिम जमानत दी थी।

अस्पताल चुनने का अधिकार

कोर्ट ने कई शर्ते लगाई थी जिसमें मीडिया से बात न करने और बिना वजह दिल्ली से बाहर नहीं जाना शामिल था। शीर्ष अदालत ने जैन को अपने इलाज के लिए अपनी पसंद का कोई भी अस्पताल चुनने का भी अधिकार दिया था। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट कर दिया था कि अंतरिम जमानत पर चिकित्सीय शर्तों पर विचार किया जाता है। दिल्ली हाईकोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी।

वजन कम हाेने का दावा

सत्येन्द्र जैन के वकील ने शीर्ष अदालत को बताया था कि इसके कारण उनका वजन 35 किलो कम हो गया है और वह कंकाल हो गये हैं। 6 अप्रैल को दिल्ली हाई कोर्ट ने सत्येन्द्र जैन की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। HC ने सत्येन्द्र जैन की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि आवेदक एक प्रभावशाली व्यक्ति है और सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने की क्षमता रखता है।

क्या है मामला?

17 नवंबर 2022 को ट्रायल कोर्ट ने सत्येन्द्र जैन की जमानत याचिका खारिज कर दी। उन्हें 30 मई, 2022 को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया था और वर्तमान में वह मामले में न्यायिक हिरासत में हैं। ईडी का मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की शिकायत पर आधारित है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि सत्येन्द्र जैन ने 14 फरवरी, 2015 से 31 मई, 2017 तक विभिन्न व्यक्तियों के नाम पर चल संपत्तियां अर्जित की थीं, जिसका हिसाब वह नहीं दे पाए।

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