Air Pollution: वायु प्रदूषण के कारण हो रहा स्मॉल सेल कैंसर, AIIMS की रिसर्च में हुआ खुलासा

(इंडिया न्यूज़, Small cell cancer caused by air pollution): दिल्ली -एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर अभी भी खराब स्थिति में हैं। वायु प्रदूषण की वजह से लोगों को कई तरह की सांस संबंधित बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। इस बीच दिल्ली एम्स के डॉक्टरों ने एक रिसर्च की है, जिसमें बताया गया है कि अधिक धूम्रपान करने वाले पुरुषों में स्मॉल सेल लंग कैंसर (एससीएलसी) पाया गया है।

कैंसर के इस प्रकार में, फेफड़े के टिश्यू में घातक कोशिकाएं बनती हैं, जो सांस की नलिकाओं (ब्रांकाई) से शुरू होती हैं।

स्मॉल सेल कैंसर में कोशिकाएं बहुत तेजी से बढ़ती हैं, बड़े ट्यूमर बनाती हैं और पूरे शरीर में फैलती हैं (मेटास्टेसिस)। उत्तर भारत के 361 मरीजों पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि इनमें लगभग 80 प्रतिशत लोग धूम्रपान करने वाले थे. लगभग 65 प्रतिशत काफी ज्यादा धूम्रपान करते थे। जिससे पता चलता है कि धूम्रपान करनास्मॉल सेल कैंसर के विकास में काफी अहम भूमिका निभाता है।

हालांकि चिंता का विषय यह है कि इस रिसर्च में शामिल 20 प्रतिशत लोगों ने धूम्रपान नहीं किया था। इसके बावजूद भी इनमें ये कैंसर विकसित हो रहा था। हालांकि इसके सटीक कारणों का पता लगाना मुश्किल है, लेकिन इस बात का प्रमाण मिला हैं कि प्रदूषित हवा में मौजूद 2.(पीएम 2.5) पार्टिकुलेट मैटर के लंबे समय तक संपर्क में रहने से फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। ऐसा खासकर निम्न और मध्यम आय वाले लोगों मे होता है।

स्मॉल सेल कैंसर के मामलों में आई गिरावट

अध्ययन के लेखकों में पल्मोनरी विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख डॉ अनंत मोहन और एम्स के प्रोफेसर और पूर्व निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया शामिल हैं। स्मॉल सेल कैंसर के कुल 361 रोगियों को 12 वर्षों से अधिक के अध्ययन में शामिल किया गया था। ये लोग 46-70 वर्ष आयु वर्ग में थे. अध्ययन ने संकेत दिया कि पिछले एक दशक में एससीएलसी की घटनाओं में गिरावट आई है, लेकिन इसका पता अभी भी काफी देरी से चल रहा है.

अध्ययन में कहा गया है कि भारतीय लोगों में टीबी के उच्च प्रसार के कारण और एंटी-टीबी थेरेपी की वजह से फेफड़ों के कैंसर के पहचान में देरी होती है। यह पाया गया कि 33.6 प्रतिशत मरीजों ने लंग्स कैंसर की पहचान से पहले टीबी विरोधी दवाओं के साथ इलाज कराया था। रिसर्च में शामिल कुल 361 रोगियों में से केवल 50 प्रतिशत ने ही शुरुआती दौर में कैंसर का निदान और इलाज कराया था.

 

Divyanshi Bhadauria

Recent Posts

नेपाल के अलावा इन देशों के नागरिक भारतीय सेना में दिखाते हैं दमखम, जानें किन देशों की सेना में एंट्री नहीं

Indian Army: भारतीय सेना अपने साहस के लिए पूरे विश्व में मशहूर है। साथ ही…

18 minutes ago

‘टेररिज्म, ड्रग्स और साइबर क्राइम…,’ PM मोदी ने गुयाना की संसद को किया संबोधित, दूसरे विश्वयुद्ध को लेकर खोला गहरा राज!

PM Modi Guyana Visit: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुयाना दौरे पर हैं। जहां उन्हेंने…

47 minutes ago