इंडिया न्यूज़ (दिल्ली): सुप्रीम कोर्ट ने एक अविवाहित महिला को लिव-इन रिलेशन से उत्पन्न होने वाली 24 सप्ताह की गर्भावस्था को गर्भपात करने की अनुमति देने के लिए एक अंतरिम आदेश पारित किया,न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने महिला को अंतरिम राहत देने से इनकार करते हुए मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी नियमो के प्रावधानों पर “अनुचित प्रतिबंधात्मक” दृष्टिकोण रखा.
कोर्ट ने कहा की याचिकाकर्ता को केवल इस आधार पर गर्भपात से वंचित नहीं किया जाना चाहिए कि वह एक अविवाहित महिला है,हमारा विचार है कि याचिकाकर्ता को अवांछित गर्भधारण की अनुमति देना संसदीय मंशा के खिलाफ होगा और अधिनियम के तहत लाभों से केवल उसके अविवाहित होने के आधार पर इनकार नहीं किया जा सकता है, एक विवाहित और अविवाहित महिला के बीच के अंतर का संसद द्वारा हासिल किए जाने वाले लक्ष्य से कोई संबंध नहीं है.
मणिपुर की रहने वाली 25 वर्षीय अविवाहित महिला जो अभी दिल्ली में रहती है उसके द्वारा 24 सप्ताह की गर्भावस्था को समाप्त करने की मांग को लेकर याचिका लगाई थी जिसे दिल्ली हाई कोर्ट ने रहत देने से इंकार कर दिया था.
सुप्रीम इस गर्भपात को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिशा निर्देश भी दिया,कोर्ट ने कहा की –
1.एम्स दिल्ली के निदेशक 22 जुलाई तक धारा 3(2)(डी) एमटीपी अधिनियम के प्रावधानों के तहत एक मेडिकल बोर्ड का गठन करेंगे
2.यदि मेडिकल बोर्ड यह निष्कर्ष निकालता है कि याचिकाकर्ता की जान को कोई खतरा नहीं है,तो भ्रूण को गर्भपात कराया जा सकता है,एम्स याचिका के अनुसार गर्भपात करेगा, प्रक्रिया पूरी होने के बाद कोर्ट को रिपोर्ट पेश की जाएगी
3.कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर विधायी व्याख्या पर अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी को मदद करने को कहा.
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