इंडिया न्यूज, नई दिल्ली (Supreme Court) : महाराष्ट्र के सियासी संकट गहराता जा रहा है। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट से बड़ी खबर आ रही है। बताया जा रहा है कि महाराष्ट्र संकट पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीन जजों की बेंच का गठित कर दिया है। यह पीठ 20 जुलाई को मामले की सुनवाई करेगी। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और हेमा कोहली की पीठ उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले खेमे और एकनाथ शिंदे खेमे द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।
इससे पहले 11 जुलाई को शिवसेना के शिंदे गुट को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली थी। सुप्रीम कोर्ट ने शिंदे गुट के 16 विधायकों की अयोग्यता मामले में सुनवाई फिलहाल टाल दी थी और कहा था कि इस मामले में बेंच गठित की जाएगी। इस प्रक्रिया में समय लगेगा। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव गुट को भी राहत देते हुए महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर को आदेश दिया था कि जब तक मामले में सुनवाई पूरी नहीं हो जाती तब तक स्पीकर कोई निर्णय नहीं लेंगे।
गौरतलब है कि उद्धव ठाकरे गुट की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि अयोग्यता का मामला विधानसभा में सुना जाएगा। जब तक सुप्रीम कोर्ट सुनवाई नहीं करता, तब तक स्पीकर को निर्णय लेने से रोक दिया जाए। इस पर सीजेआई ने विधायकों की अयोग्यता पर किसी भी फैसले पर रोक लगा दी थी।
इस बीच शिवसेना सांसद संजय राउत ने मांग कि की जब तक सियासी मामले सुलझ नहीं जाते और उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ शिवसेना के बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने की याचिका पर अपना फैसला नहीं दे देती तब तक महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगू कर दी जाए। राउत ने नए मंत्रिमंडल के गठन में देरी को लेकर नवगठित एकनाथ शिंदे सरकार पर भी कटाक्ष किया।
उन्होंने ट्वीट किया कि बारबाडोस की आबादी 2.5 लाख है और फिर भी 27 की कैबिनेट है। महाराष्ट्र की 12 करोड़ की आबादी में 2 सदस्यों की कैबिनेट है जो मनमाने फैसले ले रही है। संविधान का सम्मान कहां है? राउत ने मांग की कि जब तक शिवसेना के बागी विधायकों की अयोग्यता पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ अपना फैसला नहीं दे देती, तब तक राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिए।
वहीं, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार राष्ट्रपति चुनाव के बाद अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर सकती है। राष्ट्रपति पद के लिए सोमवार को मतदान होना है। शिंदे ने उनके नेतृत्व में शिवसेना विधायकों के विद्रोह के पश्चात महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार गिरने के बाद 30 जून को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के समर्थन से मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। इसके साथ ही भाजपा के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। हालांकि, कैबिनेट विस्तार को लेकर भाजपा या शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट की ओर से किसी तारीख की घोषणा नहीं की गई है।
उधर, महाराष्ट्र के सियासी उठापटक के बीच राज्य विधानमंडल सचिव राजेंद्र भागवत ने दोनों पक्षों की शिकायत मिलने पर शिवसेना के दोनों गुटों के 53 विधायकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। सभी को एक सप्ताह के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया गया है।
शिवसेना के 53 विधायकों को कारण बताओ नोटिस जारी करने पर पर महाराष्ट्र विधानमंडल सचिव राजेंद्र भागवत ने कहा कि जब भी हमें कोई आवेदन मिलता है तो हमें उस पर कार्रवाई करनी होती है। इसलिए प्रत्येक विधायक को नोटिस जारी किया गया है जिसके खिलाफ आवेदन किया गया था। अब समयानुसार उचित कार्रवाई की जाएगी।
दरअसल, शिवसेना में बगावत के बाद विधानसभा के डिप्टी स्पीकर ने 16 विधायकों को नोटिस जारी कर उनकी योग्यता पर सवाल खड़े किए थे। इस नोटिस के खिलाफ शिंदे गुट ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। इसी मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने दोनों पक्षों को विधायकों की योग्यता-अयोग्यता मामले में किसी भी प्रकार की कार्रवाई से रोक दिया है।
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