India News (इंडिया न्यूज), Delhi High court:दिल्ली हाईकोर्ट ने सोते हुए पति पर उबलती लाल मिर्च का पानी डालने वाली महिला को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया। पुलिस ने महिला के खिलाफ गैर इरादतन हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया है। कोर्ट ने कहा कि जीवन को खतरा पहुंचाने वाली शारीरिक चोटों के मामले में आपराधिक कानून लिंग तटस्थ हैं।

हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा, ‘निष्पक्ष और न्यायपूर्ण न्याय प्रणाली की पहचान मौजूदा मामले जैसे मामलों में फैसला देते समय लिंग तटस्थ रहना है। अगर कोई महिला ऐसी चोटें पहुंचाती है, तो उसके लिए कोई विशेष वर्ग नहीं बनाया जा सकता। जीवन को खतरा पहुंचाने वाली शारीरिक चोटों से संबंधित अपराधों से सख्ती से निपटा जाना चाहिए, चाहे अपराधी पुरुष हो या महिला, क्योंकि हर व्यक्ति का जीवन और सम्मान लिंग के बावजूद समान रूप से मूल्यवान है।’

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हाईकोर्ट ने कही बड़ी बात

हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसी धारणा है कि वैवाहिक संबंधों में बिना किसी अपवाद के केवल महिलाएं ही शारीरिक या मानसिक क्रूरता झेलती हैं, लेकिन कई मामलों में जीवन की कठोर वास्तविकताएं इसके विपरीत हो सकती हैं। अदालतें अपने सामने आने वाले मामलों का फैसला रूढ़ियों के आधार पर नहीं कर सकतीं। एक लिंग का सशक्तिकरण और संरक्षण दूसरे लिंग के प्रति निष्पक्षता की कीमत पर नहीं हो सकता। जिस तरह महिलाओं को क्रूरता और हिंसा से बचाया जाना चाहिए, उसी तरह पुरुषों को भी कानून के तहत समान सुरक्षा दी जानी चाहिए। अन्यथा सुझाव देना समानता और मानवीय गरिमा के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन होगा।’

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पुरुषों के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए

अदालत ने कहा, ‘यह मामला एक व्यापक सामाजिक चुनौती को भी उजागर करता है। अपनी पत्नियों के हाथों हिंसा के शिकार होने वाले पुरुषों को अक्सर अनोखी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जिसमें सामाजिक अविश्वास और पीड़ित के रूप में देखे जाने से जुड़ा कलंक शामिल है। इस तरह की रूढ़िवादिता इस गलत धारणा को बढ़ावा देती है कि पुरुष घरेलू रिश्तों में हिंसा के शिकार नहीं हो सकते। इसलिए, अदालतों को ऐसे मामलों में लिंग तटस्थ दृष्टिकोण की आवश्यकता को पहचानना चाहिए, यह सुनिश्चित करके कि पुरुषों और महिलाओं के साथ समान व्यवहार किया जाए।’