धर्म

शिव की नगरी काशी से कभी नहीं लानी चाहिए ये 2 चीजें घर, पाप नहीं महापाप बन जाएगी आपकी ये भूल?

Kashi Varanasi: वाराणसी, जिसे हम काशी या बनारस के नाम से भी जानते हैं, हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है। इस पवित्र नगरी को मोक्ष प्राप्ति का केंद्र माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने स्वयं इस शहर की स्थापना की थी, और यह महादेव के त्रिशूल पर टिका हुआ है। यह नगरी केवल एक शहर नहीं, बल्कि अध्यात्म और मुक्ति का द्वार है।

काशी का महत्व:

1. मोक्ष की नगरी:

माना जाता है कि काशी में प्राण त्यागने वाले को मोक्ष की प्राप्ति होती है। यहां गंगा के तट पर अंतिम संस्कार करवाने से आत्मा को जीवन-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिल जाती है।

2. पापों का नाश:

ऐसा विश्वास है कि काशी की यात्रा करने और गंगा स्नान से मनुष्य के सारे पाप धुल जाते हैं। यहां आने वाले भक्तों की यह अंतिम इच्छा होती है कि वे यहीं अंतिम सांस लें।

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काशी से घर न ले जाएं ये दो चीजें:

काशी की पवित्रता से जुड़ी कुछ धार्मिक मान्यताएं भी हैं, जिनके अनुसार दो चीजों को इस नगरी से बाहर नहीं ले जाना चाहिए:

1. गंगा जल:

गंगा जल को घर लाना शुभ माना जाता है, लेकिन काशी से गंगा जल ले जाने की मान्यता भिन्न है। ऐसा माना जाता है कि गंगा जल में मौजूद जीव-जंतु, जिवाणु, या विषाणु मोक्ष की प्राप्ति के लिए काशी में ही रहना चाहिए। अगर आप इसे काशी से बाहर ले जाते हैं, तो उन सूक्ष्म जीवों को मोक्ष से वंचित कर देते हैं, जो महापाप माना जाता है।

2. गंगा की गीली मिट्टी या रेत:

गंगा की मिट्टी को भी घर नहीं ले जाना चाहिए। मान्यता है कि इस मिट्टी में भी कई सूक्ष्म जीव होते हैं, जो मोक्ष प्राप्ति के लिए इस पावन भूमि में रहते हैं। यदि आप उन्हें वहां से दूर ले जाते हैं, तो उनकी मुक्ति में बाधा उत्पन्न होती है।

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धार्मिक दृष्टिकोण और मान्यताएं:

जीवों की मुक्ति:

काशी की यह मान्यता जीवों के सम्मान और उनकी मुक्ति पर आधारित है। यहां हर जीव, चाहे वह कितना ही सूक्ष्म क्यों न हो, मोक्ष के अधिकार से वंचित न हो।

महापाप का भय:

धार्मिक विश्वास के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति इन जीवों को काशी से बाहर ले जाता है, तो वह स्वयं पाप का भागी बनता है।

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सावधानी और श्रद्धा:

इन मान्यताओं का मुख्य उद्देश्य श्रद्धालुओं को काशी की पवित्रता और वहां मौजूद हर तत्व के महत्व को समझाना है। हालांकि, यह धार्मिक विश्वास हैं, और इन्हें व्यक्तिगत आस्था के अनुसार अपनाना चाहिए।

नोट: यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। इसे केवल जानकारी के उद्देश्य से साझा किया गया है। किसी भी प्रकार की आधिकारिक पुष्टि का दावा नहीं किया जाता।

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डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

Prachi Jain

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