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जिंदा रहते किये ये 3 काम, मौत के बाद आत्मा का होगा ऐसा हाल, 100-200 साल नही सदियों तक मिलेगी यातना!

Prachi Jain • LAST UPDATED : October 20, 2024, 10:20 am IST

India News (इंडिया न्यूज), Mystery Of Death: हमारे जीवन में कर्मों का अत्यधिक महत्व है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि आत्मा के जन्म और पुनर्जन्म का चक्र तब तक चलता रहता है जब तक कि व्यक्ति मोक्ष प्राप्त नहीं कर लेता। मोक्ष यानी आत्मा की मुक्ति, जो केवल तब संभव है जब व्यक्ति अपने कर्मों को शुद्ध रखता है और पाप से मुक्त होता है। परंतु कुछ ऐसे कर्म हैं जो आत्मा को मुक्ति प्राप्त करने से रोकते हैं और पुनर्जन्म के चक्र में बांध देते हैं। आइए जानते हैं वे तीन प्रमुख काम जो आत्मा को मोक्ष तक नहीं पहुंचने देते और हम सभी को उनसे बचने की आवश्यकता है:

1. अहंकार (Ego)

अहंकार एक ऐसा दोष है जो व्यक्ति को आत्मिक उन्नति से दूर कर देता है। अहंकारी व्यक्ति अपने स्वयं के गुणों और क्षमताओं का इतना ज्यादा महत्व देता है कि उसे दूसरों की भावनाएं, जरूरतें और सोच नजर नहीं आती। ऐसा व्यक्ति अपने जीवन को स्वार्थ के दायरे में सीमित कर लेता है। अहंकार के कारण व्यक्ति धर्म और सत्य के मार्ग से भटक जाता है, जिससे उसकी आत्मा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

उदाहरण: महाभारत में कौरवों के प्रमुख धृतराष्ट्र और दुर्योधन का अहंकार ही उनका पतन का कारण बना। वे सत्य को स्वीकार नहीं कर पाए और अपनी इच्छाओं में उलझे रहे, जिसके कारण उनका विनाश निश्चित हुआ। इस प्रकार, अहंकार मुक्ति के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा है।

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2. हिंसा (Violence)

हिंसा करना, चाहे वह शारीरिक हो या मानसिक, आत्मा को अशुद्ध बना देता है। व्यक्ति जब दूसरों को नुकसान पहुंचाता है या दूसरों की भावनाओं को आहत करता है, तो उसकी आत्मा पर इसका गहरा प्रभाव पड़ता है। हिंदू धर्म में अहिंसा को सबसे बड़ा धर्म माना गया है, और जो व्यक्ति दूसरों के प्रति हिंसक होते हैं, वे मोक्ष की दिशा में आगे बढ़ने से रोक दिए जाते हैं।

उदाहरण: रामायण में रावण का जीवन इसी हिंसक प्रवृत्ति के कारण विनाश की ओर बढ़ा। उसने सीता का अपहरण करके न केवल धर्म के नियमों का उल्लंघन किया, बल्कि अपने अहंकार और हिंसक प्रवृत्ति के कारण अपने जीवन का अंत कर लिया।

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3. झूठ और छल (Deception and Lies)

झूठ और छल का सहारा लेना भी आत्मा के विकास में बड़ी बाधा बन सकता है। सत्य को धर्म का आधार माना गया है और सत्य के मार्ग से विचलित होना आत्मा की शुद्धता को कम कर देता है। जो व्यक्ति अपने जीवन में झूठ और छल का सहारा लेते हैं, वे आत्मा की शांति और मुक्ति से दूर हो जाते हैं।

उदाहरण: महाभारत के दौरान शकुनि की छल-कपट वाली नीतियों ने कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध का मार्ग प्रशस्त किया। उसकी मक्कारी और झूठ बोलने की प्रवृत्ति ने न केवल दूसरों को नुकसान पहुंचाया, बल्कि उसकी आत्मा भी इस पाप के कारण अशांत रही।

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आत्मा की मुक्ति प्राप्त करना हर व्यक्ति का उद्देश्य होता है, लेकिन कुछ गलतियों के कारण यह असंभव हो जाता है। अहंकार, हिंसा, और झूठ व छल ऐसे तीन बड़े दोष हैं जो व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त करने से रोकते हैं। इसलिए, हर व्यक्ति को चाहिए कि वह अपने कर्मों पर ध्यान दे, इन दोषों से बचे, और धर्म व सत्य के मार्ग पर चले, ताकि उसकी आत्मा को शांति मिल सके और वह मोक्ष प्राप्त कर सके।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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