India News (इंडिया न्यूज़), 5 Destructive Weapons Of Mahabharata: महाभारत का युद्ध भारतीय इतिहास और संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है। यह महायुद्ध केवल दो कुलों, कौरवों और पांडवों के बीच की लड़ाई नहीं थी, बल्कि इसमें कई दिव्य और विनाशकारी हथियारों का उपयोग किया गया था। इन हथियारों की शक्ति इतनी भयानक थी कि आज के आधुनिक हथियार, यहां तक कि परमाणु बम भी उनके सामने फीके लगते हैं। आइए जानते हैं महाभारत काल के 5 ऐसे विनाशकारी हथियारों के बारे में, जिनकी शक्ति अद्वितीय थी:
ब्रह्मास्त्र को महाभारत काल का सबसे शक्तिशाली और विनाशकारी हथियार माना जाता है। इसे स्वयं ब्रह्मा जी ने बनाया था और इसका उपयोग बहुत कम ही किया जाता था क्योंकि इसका विनाशकारी प्रभाव धरती पर किसी भी स्थान को नष्ट करने की क्षमता रखता था। इसे छोड़ने पर चारों दिशाओं में धुआं, अग्नि और प्रलय का दृश्य पैदा हो जाता था। यह परमाणु बम से भी अधिक घातक माना जाता है क्योंकि इसका प्रभाव केवल भौतिक नहीं था, बल्कि इसे छोड़ने से वातावरण और जीवन पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता था।
यह भगवान शिव का दिव्य अस्त्र था, जिसे अर्जुन और द्रोणाचार्य जैसे कुछ महान योद्धाओं को प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। पाशुपतास्त्र का उपयोग केवल अत्यधिक संकट की स्थिति में किया जा सकता था। इसकी विनाशक क्षमता इतनी अधिक थी कि इसका उपयोग पूरे संसार को नष्ट करने के लिए किया जा सकता था। पाशुपतास्त्र का प्रभाव ब्रह्मांड के हर जीव, वनस्पति और यहां तक कि ग्रहों और सितारों पर भी हो सकता था।
यह भगवान विष्णु द्वारा प्रदान किया गया एक विशेष अस्त्र था। इसका प्रयोग केवल महान योद्धा ही कर सकते थे, और यह उन पर ही प्रभावी होता था जो इसका सामना करते समय अपनी हथियार न डालते। नारायणास्त्र के प्रहार से बचने का एकमात्र उपाय था हथियार डाल देना और समर्पण कर देना। यह अस्त्र लगातार आग बरसाता था और इसके सामने जो भी प्रतिरोध करता था, वह विनष्ट हो जाता था।
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अग्न्यास्त्र का उल्लेख महाभारत और रामायण दोनों में मिलता है। यह अस्त्र अग्नि देव का वरदान था और इसका उपयोग तब किया जाता था जब शत्रु को जला कर राख कर देना आवश्यक हो। इसे छोड़ने पर एक भीषण आग उत्पन्न होती थी, जो कुछ भी उसके सामने आता उसे भस्म कर देती थी। अग्न्यास्त्र की ताकत इतनी प्रबल थी कि इसके प्रभाव से पूरा क्षेत्र जल कर खाक हो सकता था, और इसका दुष्प्रभाव लंबे समय तक बना रहता था।
वायवास्त्र, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, वायु देव का अस्त्र था। इसका उपयोग तब किया जाता था जब शत्रु सेना को हवा के झंझावात और तूफानों से नष्ट करना होता था। इसे छोड़ने पर भीषण तूफान उठता, जो समूची सेना को उड़ा ले जाता था। वायवास्त्र की शक्ति इतनी अधिक थी कि इसके प्रभाव से बड़े-बड़े नगर और सेनाएं हवा में विलीन हो जाती थीं। इस अस्त्र का प्रयोग करते समय विशेष सावधानी बरतनी पड़ती थी, क्योंकि इसका असर कई मील तक हो सकता था।
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महाभारत के इन विनाशकारी हथियारों की तुलना आज के आधुनिक हथियारों से करना मुश्किल है। ये अस्त्र केवल भौतिक नुकसान नहीं पहुंचाते थे, बल्कि इनके प्रभाव से पूरे वातावरण और ब्रह्मांड पर भी असर पड़ सकता था। परमाणु बम जैसे आधुनिक हथियार केवल भौतिक विनाश के लिए जाने जाते हैं, लेकिन महाभारत काल के ये दिव्य अस्त्र हर दृष्टि से अधिक शक्तिशाली और विध्वंसकारी थे। महाभारत काल की इन कहानियों से हमें यह समझने में मदद मिलती है कि हमारे पूर्वज विज्ञान और तकनीक के कितने आगे थे, और उस समय के अस्त्र-शस्त्रों की शक्ति आज भी रहस्य और विस्मय का विषय है।
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