India News (इंडिया न्यूज), Aarti Ke Niyam: शास्त्रों के अनुसार हिंदू धर्म में पूजा का विशेष महत्व माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि यदि आप पूजा के आखिर में आरती किए बिना ही उठ जाते हैं तो इससे पूजा अधूरी रह जाती है। आरती न सिर्फ एक परंपरा है, बल्कि इससे भक्त और भगवान के बीच आध्यात्मिक संबंध मजबूत होता है। लेकिन आरती करने के भी कुछ खास नियम शास्त्रों में बताये गए हैं। जिनका पता बहुत कम को है। यदि आप आरती के नियमों का पालन करते हैं तो इससे आपकी पूजा पूर्ण होती है। आइये आपको बताते हैं कि आरती करने के क्या नियम होते हैं?

आरती के प्रकार और उनका महत्व

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार मुख्य रूप से सात प्रकार की आरती होती है, जो अलग-अलग अवसरों पर की जाती है।

  • मंगला आरती सुबह की जाने वाली आरती।
  • पूजा आरती पूजा के दौरान की जाने वाली आरती।
  • श्रृंगार आरती भगवान के श्रृंगार के बाद की जाने वाली आरती।
  • भोग आरती भगवान को भोग लगाने के बाद की जाने वाली आरती।
  • धूप आरती धूपबत्ती चढ़ाने के बाद की जाने वाली आरती।
  • संध्या आरती शाम को की जाने वाली आरती।
  • शयन आरती भगवान को शयन कराने से पहले की जाने वाली आरती।

आरती करने का सही तरीका

आरती को सही तरीके से करने के लिए कुछ खास नियमों का पालन श्रद्धा और भक्ति के साथ करना जरूरी है।

  • भगवान के चरणों से आरती शुरू करें और वहां चार बार थाली घुमाएं। यह चरणों के प्रति पूजा और समर्पण का प्रतीक है।
  • इसके बाद भगवान की नाभि के पास दो बार थाली घुमाएं। धार्मिक मान्यता है कि भगवान विष्णु की नाभि से ब्रह्मा जी का जन्म हुआ था, इसलिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है।
  • भगवान के मुख के सामने एक बार आरती की थाली घुमाएं, ताकि उनकी दिव्य कृपा प्राप्त हो।
  • अंत में भगवान के पूरे शरीर पर सात बार दीया घुमाकर आरती पूरी करें।

कुल मिलाकर 14 बार आरती घुमाने से भक्त की प्रार्थना चौदह लोकों तक पहुंचती है, जिससे उसकी आध्यात्मिक ऊर्जा पूरे ब्रह्मांड में फैलती है।

स्कंद पुराण में आरती के नियम

स्कंद पुराण के अनुसार आरती करने के कुछ विशेष नियम बताए गए हैं—

  • गाय के दूध से बने घी में रुई की पांच बत्तियों वाला दीपक जलाकर आरती करें। इसे पंच प्रदीप कहते हैं।
  • अगर कोई व्यक्ति पूजा विधि और मंत्र नहीं जानता है, लेकिन सच्ची श्रद्धा से आरती करता है, तो उसकी पूजा भी स्वीकार हो जाती है।

आरती करते समय ध्यान रखने योग्य बातें

  • आरती हमेशा खड़े होकर करनी चाहिए, क्योंकि इसे शुभ माना जाता है।
  • थोड़ा झुककर आरती करें, इसे भक्ति का प्रतीक माना जाता है।
  • सही धातु की थाली का प्रयोग करें। तांबे, पीतल या चांदी की थाली में आरती करना शुभ होता है।
  • थाली में पूजा सामग्री रखें। जैसे गंगाजल, कुमकुम, चावल, चंदन, अगरबत्ती, फूल और भोग के रूप में फल या मिठाई चढ़ाएं।

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आरती है विशेष

आरती केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि भगवान के प्रति समर्पण और भक्ति का प्रतीक है। सही तरीके से आरती करने से सकारात्मक ऊर्जा आती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है। इसलिए अगर आप भी अपनी पूजा को संपूर्णता देना चाहते हैं तो आरती के इन नियमों का पालन जरूर करें।

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