India News (इंडिया न्यूज), How to Became Mahamandaleshwar: ममता कुलकर्णी ने 90 के दशक में लोगों के दिलों पर राज किया, उन्होंने बॉलीवुड की कई फिल्मों में काम किया है। हालांकि, उन्होंने काफी समय तक फिल्मों से दूरी बनाए रखी थी। अब ममता कुलकर्णी ने संन्यास ले लिया है। उन्होंने महाकुंभ के दौरान किन्नर अखाड़े से दीक्षा ली है। अब खबर आ रही है कि वह अब महामंडलेश्वर बन गई हैं।
ममता कुलकर्णी किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी और जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी जय अंबानंद गिरि के मार्गदर्शन में महामंडलेश्वर बनी हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि महामंडलेश्वर बनने के लिए क्या योग्यताएं होनी चाहिए। साथ ही, महामंडलेश्वर बनने की प्रक्रिया क्या है?
Mamta Kulkarni Became Mahamandaleshwar
दरअसल, सनातन धर्म में संन्यासी की परंपरा आज की नहीं, बल्कि सदियों पुरानी है। सनातन धर्म में अलग-अलग तरह के साधु होते हैं। सनातन धर्म में शंकराचार्य को सबसे बड़ा महंत माना जाता है। सनातन धर्म में शंकराचार्य सबसे सर्वोच्च हैं। शंकराचार्य के बाद महामंडलेश्वर आते हैं। साधुओं के 13 अखाड़ों में महामंडलेश्वर का पद महामंडलेश्वर का होता है। अखाड़ों में महामंडलेश्वर को सबसे बड़ा पद माना जाता है। शंकराचार्य के बाद महामंडलेश्वर को सबसे श्रेष्ठ माना जाता है।
सबसे पहले महामंडलेश्वर पद के लिए किसी साधु का चयन किया जाता है। चयन के बाद उसे संन्यास की दीक्षा दी जाती है। यहां संन्यास दीक्षा का मतलब है कि जो लोग महामंडलेश्वर पद के लिए चुने जाते हैं, उनका पिंडदान उनके अपने हाथों से किया जाता है। इसमें उनके पूर्वजों का पिंडदान भी शामिल होता है। इसके बाद उनकी शिखा यानी चोटी रखी जाती है। अखाड़े में उनकी शिखा काटी जाती है। इसके बाद उन्हें दीक्षा दी जाती है। इसके बाद महामंडलेश्वर का अभिषेक किया जाता है। पट्टाभिषेक पूजन बहुत ही विधि-विधान से किया जाता है। दूध, घी, शहद, दही और चीनी से बने पंचामृत से महामंडलेश्वर का अभिषेक किया जाता है। सभी 13 अखाड़ों के साधु-संत महामंडलेश्वर को पट्टा पहनाते हैं।