धर्म

शव के शरीर का ये हिस्सा खा कर ऐसा भी क्या पा लेते है अघोरी साधु, तंत्र सिद्धि में दिखता है ऐसा कोहराम कि..?

India News(इंडिया न्यूज), Facts About Aghori Sadhu: अघोरी साधु अपने अत्यधिक रहस्यमय और विचित्र तरीकों के लिए प्रसिद्ध होते हैं, जो सामान्यत: समाज की धारणाओं और परंपराओं से बाहर होते हैं। उनका उद्देश्य आध्यात्मिक उन्नति और तंत्र साधना के माध्यम से मोक्ष प्राप्त करना होता है। अघोरी साधु भारतीय तंत्र-मंत्र और तांत्रिक विद्या में विश्वास करते हैं और शारीरिक तथा मानसिक कष्टों को पार करके आत्मा की मुक्ति की दिशा में काम करते हैं।

उनकी साधना में कुछ गतिविधियाँ बहुत ही असामान्य और चौंकाने वाली होती हैं, जिनमें से एक है मृत शरीर के अंगों का सेवन। अघोरी साधु कई बार शवों के शरीर के विभिन्न हिस्सों को खाते हैं, जैसे कि मस्तिष्क या अन्य अंग। इस कृत्य का धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण है, और इसके पीछे उनके विश्वास के अनुसार, यह मृत्यु के डर को समाप्त करने, आध्यात्मिक शक्तियों को प्राप्त करने, और कर्मों से मुक्ति पाने का एक तरीका माना जाता है।

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इस क्रिया का उद्देश्य:

  1. मृत्यु का भय समाप्त करना: अघोरी साधु अपने आचार-व्यवहार में मृत्यु को एक प्राकृतिक और अनिवार्य घटना के रूप में देखते हैं। वे मृत्यु के साथ अपने संबंध को सहज रूप से स्वीकारते हैं और इस प्रक्रिया के माध्यम से मृत्यु के भय को समाप्त करने का प्रयास करते हैं।
  2. आध्यात्मिक उन्नति: उनके अनुसार, मृत शरीर के अंगों का सेवन करके वे अहंकार और सांसारिक आकर्षणों से मुक्ति पाते हैं। यह साधना उन्हें आत्मज्ञान और आत्मसाक्षात्कार की ओर मार्गदर्शन करती है।
  3. संसारिक बंधनों से मुक्ति: अघोरी मानते हैं कि मृत शरीर के अंगों का सेवन करके वे संसारिक बंधनों से मुक्त हो जाते हैं, क्योंकि शरीर और माया का कोई महत्व नहीं होता। यह एक तरह की तंत्र साधना है, जिससे वे अपने आत्मिक स्तर को ऊंचा उठाने का प्रयास करते हैं।
  4. शक्ति और सिद्धियाँ प्राप्त करना: कुछ अघोरी साधु इस क्रिया को अपनी तंत्र साधना का हिस्सा मानते हैं, जिससे उन्हें तंत्र-मंत्र की सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं और वे अदृश्य शक्तियों को नियंत्रित कर सकते हैं।

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अघोरी साधु का यह कृत्य समाज की मुख्यधारा से बहुत अलग है और इसे सामान्य रूप से बहुत विचित्र और अस्वीकार्य माना जाता है। उनके इस प्रकार के आचार-व्यवहार का उद्देश्य धार्मिक और आध्यात्मिक है, और यह उनकी साधना का एक हिस्सा है। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि अघोरी साधु की ये प्रथाएँ उनके आस्थाएँ और विश्वासों पर आधारित होती हैं, जो आमतौर पर हर किसी के लिए समझना और स्वीकार करना आसान नहीं होता।

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डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

Prachi Jain

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