मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद्
Ahoi Ashtami Vart 2021 Date And Time संतान की मंगल कामना के लिए, अहोई अष्टमी का व्रत इस बार 28 तारीख को गुरुवार के दिन विशेष संयोगों, सवार्थ सिद्धि, गुरु पुष्य योग, अमृत सिद्धि तथा गजकेसरी योग में पड़ रहा है जिसे ज्योतिषीय दृष्टि से बेहद खास और लाभकारी माना जा रहा है।
इस दिन व्रत के अतिरिक्त सोना, चांदी, मकान, घरेलू सामान, विद्युत या इलैक्ट्रोनिक गैजेट्स, कंप्यूटर या दीर्घ काल में उपयोग की जाने वाली वस्तुएं खरीदने का भी अक्षय तृतीया या धन त्रयोदशी जैसा ही शुभ दिन होगा।
अहोई अष्टमी का व्रत करवा चौथ के चार दिन बाद और दीपावली से 8 दिन पहले होता है। कार्तिक मास की आठवीं तिथि को पड़ने के कारण इसे अहोई आठे भी कहा जाता है।
इस दिन महिलाएं अहोई माता का व्रत रखती हैं और उनका विधि विधान से पूजा अर्चना करती हैं। यह व्रत संतान के खुशहाल और दीघार्यु जीवन के लिए रखा जाता है। इससे संतान के जीवन में संकटों और कष्टों से रक्षा होती है।अहोई अष्टमी का व्रत महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण होता है। अपनी संतान की मंगलकामना के लिए वे अष्टमी तिथि के दिन निर्जला व्रत रखती हैं। मुख्यत: शाम के समय में अहोई माता की पूजा अर्चना की जाती है। फिर रात्रि के समय तारों को करवे से अर्ध्य देती हैं और उनकी आरती करती हैं।
इसके बाद वे संतान के हाथों से जल ग्रहण करके व्रत का समापन करती हैं।पौराणिक मान्यता है कि अहोई अष्टमी के दिन व्रत रखने से संतान के कष्टों का निवारण होता है एवं उनके जीवन में सुख-समृद्धि व तरक्की आती है। ऐसा माना जाता है कि जिन माताओं की संतान को शारीरिक कष्ट हो, स्वास्थ्य ठीक न रहता हो या बार-बार बीमार पड़ते हों अथवा किसी भी कारण से माता-पिता को अपनी संतान की ओर से चिंता बनी रहती हो तो माता द्वारा विधि-विधान से अहोई माता की पूजा-अर्चना व व्रत करने से संतान को विशेष लाभ होता है।
कार्तिक मास कृष्ण पक्ष अष्टमी आरंभ- 28 अक्टूबर 2021 दिन बुधवार को दोपहर 12 बजकर 49 मिनट से
अष्टमी समाप्त-29 अक्टूबर 2021 दिन शुक्रवार को दोपहर 02 बजकर 09 मिनट से
शाम 05 बजकर 39 मिनट से शाम 06 बजकर 56 मिनट तक है। पूजा का समय कुल मिलाकर 01 घंटा 17 मिनट रहेगा।
तारों को देखने का संभावित समय- शाम को 06 बजकर 03 मिनट पर
इस व्रत में बायना सास, ननद या जेठानी को दिया जाता है। व्रत पूरा होने पर व्रती महिलाएं अपनी सास और परिवार के बड़े सदस्यों का पैर छूकर आशीर्वाद लेती हैं। इसके बाद वह अन्न जल ग्रहण करती हैं। अहोई माता की माला को दीपावली तक गले में धारण किया जाता है।
व्रत के दिन प्रात: उठकर स्नान किया जाता है और पूजा के समय ही संकल्प लिया जाता है कि हे अहोई माता, मैं अपने पुत्र की लम्बी आयु एवं सुखमय जीवन हेतु अहोई व्रत कर रही हूं। अहोई माता मेरे पुत्रों को दीघार्यु, स्वस्थ एवं सुखी रखेें अनहोनी से बचाने वाली माता देवी पार्वती हैं इसलिए इस व्रत में माता पर्वती की पूजा की जाती है।
अहोई माता की पूजा के लिए गेरू से दीवाल पर अहोई माता का चित्र बनाया जाता है और साथ ही स्याहु और उसके सात पुत्रों का चित्र भी निर्मित किया जाता हैे माता जी के सामने चावल की कटोरी, मूली, सिंघाड़े रखते हैं और सुबह दिया रखकर कहानी कही जाती है कहानी कहते समय जो चावल हाथ में लिए जाते हैं, उन्हें साड़ी/सूट के दुप्पटे में बांध लेते हैं।
सुबह पूजा करते समय लोटे में पानी और उसके ऊपर करवे में पानी रखते हैं। ध्यान रखें कि यह करवा, करवा चौथ में इस्तेमाल हुआ होना चाहिए। इस करवे का पानी दिवाली के दिन पूरे घर में भी छिड़का जाता है। संध्या काल में इन चित्रों की पूजा की जाती है। पके खाने में चौदह पूरी और आठ पूयों का भोग अहोई माता को लगाया जाता है। उस दिन बयाना निकाला जाता है। बायने में चौदह पूरी या मठरी या काजू होते हैं। लोटे का पानी शाम को चावल के साथ तारों को आर्घ किया जाता है।
अहोई पूजा में एक अन्य विधान यह भी है कि चांदी की अहोई बनाई जाती है जिसे स्याहु कहते हैं। इस स्याहु की पूजा रोली, अक्षत, दूध व भात से की जाती है। पूजा चाहे आप जिस विधि से करें लेकिन दोनों में ही पूजा के लिए एक कलश में जल भर कर रख लेें पूजा के बाद अहोई माता की कथा सुने और सुनाएं। पूजा के पश्चात अपनी सास के पैर छूएं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। इसके पश्चात व्रती अन्न जल ग्रहण करती है।
अहोई अष्टमी पर महिलाएं चांदी के मोती की माला भी बनाती हैं, जिसमें अहोई माता का लॉकेट पड़ा होता है।
हर साल इस माला में दो मोती और जोड़ दिए जाते हैं, इसको स्याउ कहा जाता है।
इस व्रत में किसी भी तरह से धारदार चीजों का उपयोग करना मना होता है जैसे व्रत रखने वाली महिला चाकू से सब्जी आदि भी नहीं काट सकती हैं।
अहोई के दिन बनाई गई चांदी के मोती की माला को महिलाएं दीपावली तक अपने गले में पहनती हैं।
दिवाली का पूजन करने के बाद अगले दिन इस माला को उतार कर संभाल कर रख देना चाहिए।
इस दिन व्रत पारण करते समय या दिन में, कोई सफेद चीज जैसे चावल, दूध, दही आदि का सेवन करना वर्जित माना जाता है।
पूजन के बाद किसी बुजुर्ग महिला को वस्त्र आदि भेंट करके आशीर्वाद लेना चाहिए।
(Ahoi Ashtami Vrat 2021 Date And Time)
Also Read : Kiku Sharda on Set Of Indian Game Show Host By Bharti and Harsh
India News(इंडिया न्यूज), Rajasthan news: राजस्थान के झुंझुनू में गुरुवार को आभूषण और जेवरात चोरी…
कनाडा के पीएम Justin Trudeau ने भड़की हुई जनता के लिए जो योजना निकाली है,…
Lucknow Road Accident: यह घटना तब हुई जब स्कूटी सवार दो युवक, रेहान और आमिर, मोहनलालगंज…
रूस का ये निर्णय यूक्रेन द्वारा ब्रांस्क क्षेत्र में रूसी युद्ध सामग्री डिपो को लक्षित…
Ranveer Allahbadia: शराब को घर के उत्तर-पूर्व दिशा में रखना शुभ होता है।
India News (इंडिया न्यूज),Delhi Election 2025: आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल…