जे. पी. वासवानी
एक शाम मैं लॉस एंजिल्स के एक पार्क में टहल रहा था। तभी मैंने एक बेंच पर आदमी को बैठे देखा। उसके बगल में एक कुत्ता बैठा हुआ था। उस आदमी ने कुत्ते से कुछ कहा और ऐसा लगा जैसे कि कुत्ते ने उसकी बात समझ ली हो। वास्तव में ऐसा लगा कि कुत्ते ने उसकी बात का जबाव दिया।
कुतूहलवश मैंने उससे कहा, ‘भाई, क्या तुम अक्सर अपने कुत्ते से बात करते हो?’ ‘हां, करता हूं’, उसने जबाव दिया और कहा, ‘आपके लिये वह एक कुत्ता है लेकिन मेरे लिये यह मेरे बेटे जैसा है। यह मेरा एक करीबी साथी है। हमारे रिश्ते को समझना थोड़ा जटिल है।’ मैंने उससे पूछा, ‘क्या आपकी बातों का जबाव यह कुत्ता देता है?’ उसने हंसते हुए कहा कि उसे हमेशा उस कुत्ते से जबाव मिलता है। कभी-कभी वह अनोखे रूप से जबाव देता है और कभी-कभी बस वह सिर हिलाकर जबाव देता है। जानवर भी आध्यात्मिक प्राणी होते हैं। हमें उनसे बहुत कुछ सीखना है। वह हमारे बेहतर रूप को बाहर ला सकते हैं और हमें कुछ सबक भी सिखा सकते हैं, जैसे कि बिना शर्तों के प्यार कैसे करना चाहिए, हर प्रकार की स्वीकृति, बिना बोले बातों को कैसे समझना चाहिए जैसी और भी कई चीजें। अब तक हममें से कई अपनी वास्तविक पहचान और जीवन के उद्देश्य को लेकर उलझन में है।
तृष्णा और इच्छा के कारण वह खुद पर काबू पाने में असमर्थ है। मनुष्य में असंतोष की भावना है और उसका एक मुख्य कारण प्रकृति और अन्य प्राणियों से उसका अलगाव है। सभ्यता के नवीनीकरण और आध्यात्मिकता के विकास के लिये यह जरूरी है कि चिड़ियों, जानवरों, पौधों, फूलों, झरनों, तारों और जो कुछ भी जीवित है, उससे दोस्ती करें। मनुष्य प्रकृति का एक हिस्सा है। दुर्भाग्य से वह अपने-आप को भगवान समझता है और सोचता है कि अपने आस-पास के चीजों के साथ वो जो चाहे वो कर सकता है। हमें यह एहसास करने की आवश्यकता है कि जैसे हम प्रकृति का हिस्सा हैं वैसे भी रचना के अन्य रूप भी प्रकृति का हिस्सा है। अगर हम प्रकृति का दोहन करते हैं तो यह वापस से हमपर वार करेगा।
सूखा पड़ेगा, बाढ़ आयेगी, तूफान और भूकंप आयेगा और ज्वालामुखी फटेगा। असंतुलन, प्रदूषण, कचरा और ग्लोबल वार्मिंग के कारण इस ग्रह का नक्शा ही बदल जाएगा जिसे हम अपना घर कहते हैं। यह स्पष्ट है कि यह सब तेजी से हो रहा है और पृथ्वी पर तब तक शांति नहीं होगी जब तक हम हत्याएं करना बंद नहीं करेंगें। किसी भी छोटे से कारण के लिये किसी भी संवेदनशील प्राणी की हत्या नहीं होनी चाहिए और अगर मैं भोजन के लिये किसी जानवर को मारता हूं तो जिसे मैं दुश्मन समझता हूं, उस इंसान की हत्या करने में भी मैं नहीं हिचकिचाऊंगा। हमें सभी जीवन के लिये श्रद्धा की भावना विकसित करने की आवश्यकता है। सभी जीवन को पवित्र माना जाना चाहिए। एमके गांधी ने कहा है, ‘किसी भी देश की महानता और उसका नैतिक विकास का पता इस बात से लगाया जा सकता है कि वहां जानवरों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है।’ पिछले कुछ दशकों में मानव अधिकारों को लेकर कई आंदोलन हुये हैं। अब समय है कि हमें जानवरों के अधिकारों को पहचानना चाहिए। हरेक जानवर के कुछ मूल अधिकार हैं। और उनका मूल अधिकार है जीवित रहने का अधिकार। आप उनसे वह नहीं छीन सकते जो आप उन्हें नहीं दे सकते। अगर आप किसी मृत प्राणी को जीवन नहीं दे सकते हैं तो आपको यह अधिकार नहीं है कि आप उनकी हत्या करें।
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