India News(इंडिया न्यूज), Pandavas: पौराणिक कथाओं और इतिहास के अनुसार, पांडवों के वंशज आज भी जीवित हैं और भारत के विभिन्न हिस्सों में निवास करते हैं। पांडवों के वंश को आगे बढ़ाने का श्रेय अर्जुन के बेटे अभिमन्यु और उनके बेटे परीक्षित को दिया जाता है। परीक्षित के वंशजों ने कई पीढ़ियों तक हस्तिनापुर पर शासन किया।
हालांकि, यह कहना कठिन है कि आज के समय में पांडवों के वंशज विशेष रूप से कहां निवास करते हैं क्योंकि यह इतिहास और पुराणों में विस्तृत रूप से दर्ज नहीं है। फिर भी, कुछ परिवार और समुदाय ऐसे हो सकते हैं जो अपने आपको पांडवों के वंशज मानते हैं और उनकी परंपराओं और रीति-रिवाजों का पालन करते हैं।
कलियुग में पांडवों के वंशजों के निवास स्थान के बारे में कोई ठोस ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है। हालांकि, भारत की प्राचीन और मध्यकालीन इतिहास में पांडवों के वंशजों का उल्लेख मिलता है। उदाहरण के लिए:
उत्सवाग्रही वंश: कुछ वंशज उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के गांव बड़ागांव में रहते थे। यह वंश अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित से जुड़ा हुआ है।
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करनाल के वंशज: हरियाणा के करनाल जिले में भी कुछ वंशजों का निवास बताया जाता है। करनाल का नाम महाभारत के प्रमुख पात्र कर्ण के नाम पर रखा गया है, जो पांडवों के समान ही महाभारत का हिस्सा थे।
इन्द्रप्रस्थ: दिल्ली के इन्द्रप्रस्थ (आज का पुराना किला) को पांडवों की राजधानी माना जाता है, और कुछ वंशजों का दावा है कि वे यहीं के रहने वाले हैं।
हालांकि, यह ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि इनमें से कई बातें लोककथाओं और पारिवारिक परंपराओं पर आधारित हैं। वास्तविकता में, पांडवों के वंशजों की पहचान और उनका निवास स्थान ऐतिहासिक और पुराणिक तथ्यों के अभाव में पूर्ण रूप से सत्यापित नहीं किया जा सकता है।
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