India News (इंडिया न्यूज), Mahakumbh 2025: महाकुंभ 2025 का आयोजन प्रयागराज में हो रहा है, जहां प्रतिदिन करोड़ों श्रद्धालु त्रिवेणी संगम पर पहुंचकर पवित्र स्नान कर रहे हैं। अब तक 140 मिलियन से अधिक लोग इस पवित्र स्थान पर डुबकी लगा चुके हैं। हालांकि, कई श्रद्धालु अनजाने में यमुना नदी को गंगा घाट समझकर वहीं स्नान कर रहे हैं। यदि आप महाकुंभ जाने की योजना बना रहे हैं, तो इस गलती से बचें। आइए, प्रयागराज के प्रमुख घाटों और उनके महत्व को विस्तार से समझते हैं।
महाकुंभ में शाही स्नान का महत्व
शाही स्नान या राजयोगी स्नान महाकुंभ मेले का सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र स्नान है। यह खास तिथियों पर होता है, जब अखाड़ों के साधु-संत सबसे पहले पवित्र स्नान करते हैं। इस स्नान में नागा साधु, महामंडलेश्वर और अन्य संत अपनी परंपराओं के अनुसार संगम में डुबकी लगाते हैं। यह माना जाता है कि शाही स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। लाखों श्रद्धालु इन विशेष तिथियों पर संगम स्नान के लिए उपस्थित रहते हैं।
प्रयागराज के प्रमुख घाट और उनका महत्व
1. संगम घाट
यह वह पवित्र स्थान है, जहां गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का संगम होता है। शाही स्नान सहित अधिकांश स्नान यहीं आयोजित होते हैं। संगम घाट को सबसे पवित्र माना जाता है, और यही कारण है कि अधिकतर श्रद्धालु इसी स्थान पर स्नान करते हैं।
2. छतनाग और दशाश्वमेध घाट
त्रिवेणी संगम के अलावा छतनाग और दशाश्वमेध घाट पर भी स्नान किया जा सकता है। हालांकि, ये घाट थोड़े दूर हैं, इसलिए अधिकांश श्रद्धालु संगम घाट पर ही डुबकी लगाना पसंद करते हैं।
3. अरैल घाट
यह संगम के पार स्थित है और अखाड़ों के साधु-संत इसी घाट से संगम स्नान के लिए जाते हैं। यहां कई आश्रम और संतों के डेरे स्थित हैं।
4. किला घाट
प्रयागराज किले के पास स्थित यह घाट ऐतिहासिक महत्व रखता है। यहां से संगम तक जाने के लिए नावें उपलब्ध होती हैं।
5. अक्षयवट घाट
अक्षयवट, जिसे अमर वृक्ष माना जाता है, इस घाट पर स्थित है। यह घाट संगम के करीब है और स्नान के लिए उपयुक्त माना जाता है।
6. यमुना घाट
यह घाट यमुना नदी के किनारे स्थित हैं। चूंकि यहां गंगा नदी नहीं मिलती, इसलिए इसे संगम स्नान की श्रेणी में शामिल नहीं किया जाता।
शाही स्नान कैसे करें?
शाही स्नान के दिन सबसे पहले नागा साधु और अखाड़ों के संत स्नान करते हैं। आम श्रद्धालु उनके स्नान के बाद स्नान कर सकते हैं। सूर्योदय से पहले स्नान करना शुभ माना जाता है।
- महिलाओं के लिए अलग स्नान क्षेत्र: महिलाओं के लिए अलग स्नान क्षेत्र बनाए जाते हैं।
- नाव की सुविधा: संगम तक पहुंचने के लिए नाव की सुविधा उपलब्ध होती है।
महाकुंभ 2025 के प्रमुख शाही स्नान तिथियां
- पहला शाही स्नान (मकर संक्रांति): 14 जनवरी 2025
- दूसरा शाही स्नान (मौनी अमावस्या): 29 जनवरी 2025
- तीसरा शाही स्नान (बसंत पंचमी): 3 फरवरी 2025
- चौथा शाही स्नान (माघी पूर्णिमा): 12 फरवरी 2025
- पांचवां शाही स्नान (महाशिवरात्रि): 26 फरवरी 2025
महाकुंभ की पवित्रता का अनुभव करें
महाकुंभ 2025 एक अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव है। त्रिवेणी संगम पर स्नान करने से न केवल मोक्ष की प्राप्ति होती है, बल्कि यह आत्मा को शुद्ध करता है। इस पवित्र अवसर पर सही जानकारी के साथ जाएं और शाही स्नान का महत्व समझें।
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