धर्म

भगवान राम ने किस जगह त्यागा था अपना मानव शरीर? आज कहां हैं वह स्थान!

India News (इंडिया न्यूज़), Death Place Of Prabhu Shree Ram: रामायण के अनुसार, भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है, जिन्होंने मानव रूप में धरती पर अवतार लेकर धर्म की स्थापना की और आदर्श राजा के रूप में शासन किया। उनकी कहानी न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि उनका जीवन हर मानव के लिए एक आदर्श मार्गदर्शक भी है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि भगवान राम ने अपने मानव शरीर का त्याग कहाँ किया था? यह स्थान कोई और नहीं, बल्कि गुप्तार घाट है, जो उत्तर प्रदेश के अयोध्या से कुछ दूरी पर स्थित है। यह घाट रामायण के आखिरी अध्याय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जहां भगवान राम ने सरयू नदी के किनारे जल समाधि ली थी।

कहानी: भगवान राम का पृथ्वी पर अंतिम चरण

भगवान राम के राज्याभिषेक के बाद अयोध्या में शांति और समृद्धि का युग आया, जिसे राम राज्य कहा गया। इस युग में सभी लोग सुखी और संतुष्ट थे। राम अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए सभी को न्याय और धर्म का पालन करने की शिक्षा देते थे। लेकिन समय बीतने के साथ भगवान राम को यह अहसास हुआ कि उनका धरती पर अवतार समाप्त होने का समय आ गया है।

एक दिन राम को यमराज का संदेश मिला कि अब उनका यह मानव शरीर त्यागने का समय आ गया है। राम ने इसे सहर्ष स्वीकार किया, क्योंकि उन्हें यह ज्ञात था कि उनके इस अवतार का उद्देश्य पूरा हो चुका है। अपने भाइयों लक्ष्मण, भरत, और शत्रुघ्न के साथ, राम ने गुप्तार घाट की ओर प्रस्थान किया।

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राम के साथ उनके भाई और अनुयायी भी गए, लेकिन राम ने उन्हें आदेश दिया कि वे अब आगे न बढ़ें। इसके बाद, भगवान राम अकेले गुप्तार घाट पर पहुंचे, जहां सरयू नदी की पवित्र जलधारा बह रही थी। राम ने सरयू नदी में प्रवेश किया और अपनी मानव लीला को समाप्त कर जल समाधि ली। यह घटना उनके विष्णु स्वरूप में वापसी का प्रतीक थी। राम का यह अंतिम समय इतना दिव्य और अद्भुत था कि सरयू नदी की लहरों ने उन्हें अपने भीतर समा लिया, और वे सभी के लिए अदृश्य हो गए।

गुप्तार घाट: पवित्र स्थल की महिमा

गुप्तार घाट, जो अयोध्या से लगभग 15-20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, को भगवान राम के अंतिम विश्राम स्थल के रूप में जाना जाता है। सरयू नदी के तट पर स्थित इस घाट का नाम “गुप्तार” इसलिए पड़ा क्योंकि यह वह स्थान है जहां राम “गुप्त” यानी अदृश्य हो गए थे।

यह स्थान आज भी धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। यहाँ पर भगवान राम की स्मृति में एक मंदिर भी स्थित है, जिसे श्रद्धालु पूजनीय मानते हैं।

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गुप्तार घाट का महत्व

गुप्तार घाट न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह उन भक्तों के लिए भी विशेष महत्व रखता है जो भगवान राम की भक्ति में लीन हैं। यहाँ पर सरयू में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति मानी जाती है। यह स्थल श्रद्धालुओं के लिए एक तीर्थयात्रा का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है, जहां लोग भगवान राम की अंतिम यात्रा की याद में समर्पण और भक्ति के साथ आते हैं।

गुप्तार घाट पर होने वाले धार्मिक अनुष्ठानों का विशेष महत्व होता है। यहाँ की शांति और आध्यात्मिक वातावरण राम भक्तों के दिलों में आस्था और भक्ति को और गहरा करता है। इस घाट का दृश्य और यहाँ का माहौल भगवान राम की दिव्यता का प्रतीक है।

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गुप्तार घाट कैसे पहुँचा जा सकता है?

गुप्तार घाट उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले के पास स्थित है, जो फैजाबाद से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर है। अयोध्या धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थल है और यहाँ पर साल भर श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है। अयोध्या और फैजाबाद रेलवे और सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़े हुए हैं, जिससे गुप्तार घाट तक पहुँचना आसान होता है।

धार्मिक और आध्यात्मिक धरोहर

गुप्तार घाट भगवान राम की उस लीला का प्रतीक है, जहां उन्होंने अपने जीवन की अंतिम यात्रा की थी। यह स्थान श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है और भगवान राम की भक्ति और दिव्यता को महसूस करने का स्थल है। राम का यह अंतिम कदम हमें यह सिखाता है कि जीवन एक यात्रा है, और उस यात्रा को धर्म, सत्य और कर्तव्य के साथ जीना सबसे महत्वपूर्ण है।

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निष्कर्ष

भगवान राम की मृत्यु और उनकी जल समाधि की कथा हमें जीवन की क्षणभंगुरता और मोक्ष की खोज के महत्व को समझने का अवसर देती है। गुप्तार घाट आज भी उन श्रद्धालुओं के लिए एक पवित्र स्थल है, जो राम के आदर्शों और उनके दिव्य जीवन से प्रेरणा लेते हैं। यह स्थल केवल एक धार्मिक धरोहर ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत है, जहां जाकर भक्त भगवान राम की दिव्यता का अनुभव कर सकते हैं।

Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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Prachi Jain

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