India News (इंडिया न्यूज़), Importance of Yellow Clothes on Basant Panchami 2024: पंचांग के अनुसार, इस साल बसंत पंचमी (Basant Panchami) का त्योहार 14 फरवरी 2024 को मनाया जाएगा। कला व संगीत के क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए यह दिन बहुत ही खास होता है। साथ ही छात्रों के लिए बसंत पंचमी की पूजा बहुत शुभ मानी गई हैं। क्योंकि इस दिन मां सरस्वती का पूजन किया जाता है और उन्हें विद्या व वाणी की देवी कहा गया है। जिस व्यक्ति पर मां सरस्वती की कृपा होती है उसे अपने कार्यक्षेत्र में सफलता अवश्य हासिल होती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन पीले रंग के कपड़े पहनकर पूजा करना शुभ माना गया है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर इस दिन पीले रंग के कपड़े क्यों पहने जाते हैं? तो यहां जानिए इसके पीछे छिपे कारण और महत्व के बारे में जानकारी।
बसंत पंचमी पर क्यों पहनते हैं पीले रंग के कपड़े?
- बसंत पंचमी के दिन पीले रंग के कपड़े पहनने के पीछे कई धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। जिनके अनुसार पीला रंग भगवान सूर्य का है और सूर्य की किरणें जिस प्रकार अंधकार का विनाश करती हैं, उसी तरह ये मनुष्य के हृदय में बसी बुरी भावना को नष्ट करती हैं। इसलिए बसंत पंचमी के दिन पीला रंग पहनना शुभ माना गया है।
- इसके अलावा ज्योतिष शास्त्र में भी पीले रंग को बहुत ही शुभ माना गया है। गाढ़ा पीला मनुष्य को मनोबल प्रदान करके हर कार्य में सफलता की ओर बढ़ाता है। लेकिन हल्का पीला रंग मानव को बुद्धिहीन बनाता है।
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पीला रंग ज्ञान और बुद्धि का भव्य रंग है, यह सुख, शांति, अध्ययन, एकाग्रता और मानसिक बौद्धिक उन्नति का परिचायक है।
- पीला रंग उत्तेजित करता है ज्ञान की ओर प्रव्रत्ति उत्पन्न करता है। साथ ही नए-नए विचार मन में पैदा करता है। इसलिए बसंत पंचमी के दिन पीला रंग पहना जाता है।
- भगवान श्री विष्णु का वस्त्र भी पीला है, उनका पीत वस्त्र उनके असीम ज्ञान का द्योतक है।
बसंत पंचमी का महत्व
बसंत पंचमी का त्योहार पूजा-पाठ के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। लेकिन इस दिन का मौसम से विशेष लगाव माना गया है। क्योंकि बसंत का मौसम आते ही फूलों पर बहार आ जाती है, खेतों में सरसों चमकने लगती है, जौ और गेहूँ की बालियाँ खिलने लगतीं है, आमों के पेड़ों पर बौर आ जाता है और हर तरफ रंग-बिरंगी तितलियाँ मँडराने लगती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बसंत ऋतु का स्वागत करने के लिए माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन एक बड़ा जश्न मनाया जाता है और इस पर्व को बंसत पंचमी कहा जाता है। इस दिन मां सरस्वती के साथ ही भगवान विष्णु और कामदेव की भी पूजा होती है।