इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :
Ganesh Chaturthi special : तुलसी के पौधे का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस पौधे को देव तुल्य माना जाता है और हिंदू परिवारों में इस पौधे की नियमित पूजा होती है। ऐसी भी मान्यता है कि तुलसी की पत्ती यदि भगवान के भोग में डाल दी जाए या फिर ईश्वर को अर्पित की जाए, तो शुभ फल प्राप्त होते हैं।
ऐसे में शुभ फल प्राप्त करने के लिए अमूमन लोग हर देवी-देवता को तुलसी की पत्ती अर्पित कर देते हैं। लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए, खासतौर पर भगवान गणेश और उनके पूरे परिवार में किसी को भी तुलसी की पत्ती भोग में या अभिषेक में अर्पित नहीं की जाती है।
जाहिर है, आपके मन में अब यह प्रश्न उठ रहा होगा कि आखिर भगवान गणेश और उनके परिवार को ही तुलसी क्यों नहीं चढ़ाई जाती, इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमने उज्जैन के पंडित एवं ज्योतिषाचार्य मनीष शर्मा जी से बात की। पंडित जी बताते हैं, ‘तुलसी की पत्ती भगवान गणेश, शिव, पार्वती और कार्तिकेय जी को कभी नहीं अर्पित की जाती है।’
Read more about Ganesh chaturthi
यह देवी तुलसी के पूर्व जन्म की कथा है, जब उनका जन्म वृंदा के रूप में हुआ था। वृंदा की शादी जालंधर नाम के एक राक्षस से हुई थी। हालांकि, वृंदा स्वभाव से बहुत ही अच्छी थी और पतिव्रता भी थी। वृंदा के धार्मिक होने की वजह से सभी देवी-देवता उसे पसंद करते थे। पंडित जी आगे की कथा बताते हैं और कहते हैं, ‘वृंदा को यह वरदान मिला था कि जब तक वह पतिव्रता रहेगी उसके राक्षस पति को कोई भी हानि नहीं पहुंचा पाएगा। इस बात का फायदा उठा कर जालंधर तीनों लोक में त्राहि-त्राहि मचा रहा था। कोई भी देवी या देवता उसका वध नहीं कर पा रहा था क्योंकि वृंदा अपने पति से बहुत अधिक प्रेम करती थी और पति के अलावा किसी और के बारे में नहीं सोचती थी।’
जब जालंधर के पाप और शक्तियां इतनी बढ़ गई कि उसके जीवित रहने पर देवी-देवताओं को खतरा महसूस होने लगा, तब मानव जाति की रक्षा के लिए भगवान शिव और जगतपिता नारायण ने एक षड्यंत्र रचा। पंडित जी बताते हैं, ‘एक दिन भगवान विष्णु जालंधर का रूप धारण कर वृंदा के पास पहुंच गए। वृंदा भगवान विष्णु को ही अपना पति समझ बैठी, जिससे उसका पतिव्रता धर्म भंग हो गया। ऐसा होते ही भगवान शिव ने जालंधर का वध कर दिया।’
जब यह बात वृंदा को पता चली तो उसने आत्मदाह कर लिया। वृंदा की राख से एक पौधे का जन्म हुआ, जिसे तुलसी कहा गया। जाते-जाते वृंदा ने भगवान विष्णु को पाषाण (पत्थर) बनने का श्राप दिया। मगर देवी लक्ष्मी (मां लक्ष्मी को ऐसे करें प्रसन्न) के आग्रह पर वृंदा ने अपना श्राप वापिस ले लिया। इस पर भगवान विष्णु ने पत्थर के रूप (शालिग्राम) में तुलसी से विवाह किया और यह प्रण लिया कि तुलसी के बिना वह अन्न-जल नहीं ग्रहण करेंगे तब से तुलसी सभी देवी-देवताओं की प्रिय हो गई और इसे शुभ माना जाने लगा। लेकिन एक श्राप वृंदा ने पूरे शिव परिवार को भी दिया कि तुलसी का उसे कभी कोई संबंध नहीं होगा।
यही कारण है कि पूरे शिव परिवार पर तुलसी की पत्ती को अर्पित नहीं किया जाता है।
गणेश जी को हमेशा पीले रंग का जनेऊ ही अर्पित करें। बाजार में आपको सफेद जनेऊ ही मिलेगा इसे आप हल्दी से पीले रंग का कर सकते हैं। गणेश जी को पीली चीजें अति प्रिय हैं। इसलिए आप उन्हें लाल की जगह पीला चंदन ही अर्पित करें।
Indian Army: भारतीय सेना अपने साहस के लिए पूरे विश्व में मशहूर है। साथ ही…
India Russia Friendship: रूस और भारत के बीच संबंध हमेशा से बहुत अच्छे रहे हैं।…
Kaal Bhairav Jayanti 2024: काल भैरव जयंती पर काल भैरव की विधि-विधान से पूजा की…
PM Modi Guyana Visit: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुयाना दौरे पर हैं। जहां उन्हेंने…
Horoscope 22 November 2024: 22 नवंबर का राशिफल वृष, मिथुन और वृश्चिक राशि के लिए…
India News (इंडिया न्यूज)Makeup Side Effects: ज़्यादातर लोगों का मानना है कि जब महिलाएं मेकअप…