धर्म

इस महायोद्धा ने अपनी मां की कोख में हीं सीख लिया था युद्ध जीतने की कला, जानें प्रेगनेंसी में बच्चे कैसे सीखते हैं संस्कार!

India News (इंडिया न्यूज), Benefits Of Garbh Sanskar: गर्भ संस्कार हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण प्रथा है जो गर्भावस्था के समय माँ और उसके गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए अच्छे संस्कार और शिक्षा का माध्यम है। इसका मतलब है कि माँ को गर्भावस्था के दौरान भावनात्मक, मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से खुद को अच्छी स्थिति में रखना चाहिए, ताकि गर्भ में पल रहे बच्चे पर इसका अच्छा प्रभाव पड़े। ऐसा कहा जाता है कि गर्भ में बच्चे का मस्तिष्क 60 परसेंट तक विकसित हो जाता है और शिशु ध्वनि, प्रकाश, संगीत, विचार, भावनाएं और बाहरी गतिविधियों को महसूस करने में सक्षम हो जाता है।

बच्चे कब आवाज़ों को समझ सकते हैं

इसलिए महिलाओं को ऐसे समय में पॉजिटीव और टेंशन फ्री रहने की सलाह दी जाती है। गर्भ संस्कार में गर्भ संवाद नामक एक प्रक्रिया भी शामिल है, जिसमें माँ बार-बार अपने पेट को सहलाकर बच्चे के साथ बात करने की कोशिश करती है। 26 हफ्ते पूरे होने के बाद, बच्चे गर्भ के बाहर से आने वाली आवाज़ों को समझ सकते हैं। इस अवधि के दौरान बच्चे से बात करने से बॉन्डिंग में मदद मिलती है। जन्म के बाद, बच्चा उन ध्वनियों को पहचानता है, जो उसे शांत करने में मदद करती हैं।

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अभिमन्यु ने गर्भ में चक्रव्यूह तोड़ना सीखा

गर्भ में पल रहा बच्चा उस वक्त ही बहुत कुछ सीखने में सक्षम हो जाता है। इसका उदाहरण कई पौराणिक कथाओं में मिलता है। जैसे अभिमन्यु ने अपनी माँ के गर्भ में ही चक्रव्यूह तोड़ना सीख लिया था। प्रह्लाद भी भगवान विष्णु के भक्त थे क्योंकि जब वह अपनी माँ के गर्भ में थे तो उनकी माँ प्रतिदिन भगवान विष्णु की पूजा करती थीं और नारद मुनि ने भक्त प्रह्लाद को गर्भ में ही गीता सुनाई थी। इन कहानियों से पता चलता है कि माँ के सुनने, समझने और बोलने का गर्भ में पल रहे बच्चे पर बहुत प्रभाव पड़ता है और वह गर्भ में ही इनमें से कई बातें सीख लेता है।

पाठ किये जाने वाले मंत्र और श्लोक

हनुमान चालीसा

ऐसा माना जाता है कि गर्भावस्था के दौरान माताओं को हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। यह गर्भ में पल रहे बच्चे को सभी बुरी गतिविधियों से दूर रखता है और गर्भ में दर्द से भी राहत दिलाता है।

गायत्री मंत्र

यह शक्तिशाली मंत्र दिव्य ऊर्जा और ज्ञान का आह्वान करता है और अजन्मे बच्चे के मानसिक और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देता है।

बीज मंत्र: “ॐ गं गृहसः गुरुवे नम:॥”
बुद्धि और ज्ञान के लिए गर्भ संस्कार के दौरान अक्सर बृहस्पति ग्रह के बीज मंत्र का जाप किया जाता है।

भगवद गीता के श्लोक

सकारात्मक मार्गदर्शन के लिए गर्भावस्था के दौरान भगवद गीता के श्लोकों का पाठ किया जाता है।

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Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

Preeti Pandey

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