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Bhrigu Samhita – Forecast of the Future of Humanity भृगु संहिता- मानवता के भविष्य की भविष्यवाणी

Bhrigu Samhita – Forecast of the Future of Humanity

अधिकतर चीजें होशपूर्वक न करने पर आपको लगता है कि ये आप पर लादा गया है

सद्गुरु जग्गी वासुदेव

यहां, सदगुरु भृगु संहिता के विज्ञान को समझा रहे हैं, जिसका उपयोग लोगों के भविष्य के बारे में भविष्यवाणी करने के लिये होता है।
सद्गुरु: भृगु, शिव के पहले सात शिष्यों, सप्तऋषियों, में से एक थे। शिव के प्रति अपनी भक्ति एवं श्रद्धा प्रकट करने के लिये, शिव के चारों ओर तीन प्रदक्षिणा करना उन सभी का दैनिक नियम था। भृगु, शिव के अत्यंत उत्साही भक्त थे और उनका शिव के प्रति अत्यंत अधिकार पूर्ण भाव था। एक दिन उन्होंने सोचा, ‘मैं पार्वती के चारों ओर चक्कर क्यों लगाऊं? उनकी पत्नी से मुझे क्या लेना-देना? मुझे तो सिर्फ शिव की ही प्रदक्षिणा करनी है।’ तो उन्होंने पार्वती से दूर हटने के लिये कहा।

पार्वती बहुत नाराज हुईं और उन्होंने इनकार कर दिया। तो भृगु ने एक छोटे पक्षी का रूप ले लिया और पार्वती को बाहर रखते हुए सिर्फ शिव की प्रदक्षिणा की। शिव इस मजेदार परिस्थिति को देख रहे थे पर पार्वती को यह देख कर कि भृगु सिर्फ शिव की प्रदक्षिणा कर रहे थे, बहुत गुस्सा आया। यह देखने के लिये कि भृगु आगे क्या करते हैं, शिव ने पार्वती को अपनी गोद में बिठा लिया जिससे उनके बीच कोई अंतर ही नहीं रह गया। तब भृगु ने एक भंवरे का रूप ले लिया और शिव के सिर के चारों ओर प्रदक्षिणा करते हुए फिर पार्वती को बाहर छोड़ दिया। पार्वती का गुस्सा अब बहुत बढ़ गया, ‘ये क्या बकवास है’? शिव इस नाटक का आनंद ले रहे थे। फिर उन्होंने पार्वती को अपने अंदर ही ले लिया, अपना ही एक हिस्सा बना लिया और वे दोनों एक हो गये। शिव ने अपना आधा भाग छोड़ दिया और पार्वती को मिला कर वे अर्धनारीश्वर बन गये। तो भृगु ने भंवरे के रूप में रह कर एक छेद कर डाला और फिर से केवल शिव की ही प्रदक्षिणा की। अब तो पार्वती भयंकर क्रोधित हो गयीं और उन्होंने भृगु को श्राप दे दिया, ‘तुम्हारे शरीर का नाश हो जाये, शिव की प्रदक्षिणा करना तो दूर, तुम एक कदम भी चल नहीं सकोगे, तुम्हें ऐसा ही होना चाहिये’।

भृगु की सारी मांसपेशियां नष्ट हो गयीं और उनका शरीर सिर्फ त्वचा और हड्डियों का ढांचा रह गया। वे खड़े भी नहीं हो सकते थे। तब हस्तक्षेप करते हुए शिव ने पार्वती से कहा, ‘ये आपने क्या कर दिया? वे एक भक्त हैं, और भक्त पागल होते हैं। वे यह सब आपका अपमान करने के लिये नहीं कर रहे थे। आपने अगर उन्हें सिर्फ यह कहा होता कि, ‘मैं भी शिव हूं’, तो वे आपकी भी प्रदक्षिणा करते। आपको ये सब करने की क्या जरूरत थी?’

लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी, और वे कुछ नहीं कर सकते थे। तो शिव ने भृगु को एक तीसरा पैर दिया जिससे वे खड़े हो सकें। आप कुछ खास शिव मंदिरों के बाहर देख सकते हैं, वहां एक तीन पैर वाले पुरुष, तिपाही, की छवि होगी। ये तीसरा पैर सिर्फ खड़े होने के लिये ही नहीं था, ये एक ऐसा पैर हो गया जिससे वे तीनों लोकों की समझ प्राप्त कर सकें। यह एक प्रतीकात्मक पैर है।

Bhrigu Samhita – Forecast of the Future of Humanity मानवीय चेतना का नक्शा बनाना

इस तीनों लोकों की समझ के साथ उन्होंने जो रचना की, उसे भृगु संहिता कहते हैं, यह एक नक़्शे, एक मानचित्र की तरह है, यह बताने के लिये कि सौर व्यवस्था का अंत होने तक मनुष्य कैसे होंगे? वे हर व्यक्तिगत मनुष्य के बारे में बात नहीं कर रहे थे, वे मानवता के बारे में कह रहे थे, इसका क्रमिक विकास कैसे होगा, ये क्या करेगी, किस प्रकार के मनुष्य आयेंगे और अलग अलग प्रकार के समुच्चय (मेल, जोड़) तथा क्रम परिवर्तन पर निर्भर करते हुए, उनके सामने कैसी परिस्थितियां आएंगी? एक उपमा के तौर पर, मान लीजिये, आप हवा के बहाव, प्रवाह का एक चित्र बनाते हैं तो आप जानेंगे कि ऊंचें और नीचे दबाव वाले क्षेत्रों की स्थिति के हिसाब से, हवा का प्रवाह कैसे होगा। उसी तरह से भृगु ने मानवीय चेतना का एक नक्शा, मानचित्र बनाया – कि कोई मनुष्य किस प्रकार के गर्भ में जायेगा, क्या होगा, आदि, आदि। उन्होंने इसे बहुत विस्तार से बनाया और कुछ लोगों को इन नक्शों को पढ़ और समझ सकने के लिये प्रशिक्षित भी किया।

Bhrigu Samhita – Forecast of the Future of Humanity मानचित्र को पढ़ना

एक विस्तृत नक़्शे को पढ़ने, समझने के लिये प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। अगर आप ने वैमानिक(हवाई जहाज से जुड़े) नक़्शे देखे हों, वे बहुत जटिल होते हैं, धरती गोल है, लगातार तेजी से घूम रही है, समय क्षेत्र बदल रहे हैं, इन सब बातों का इन नक्शों में ध्यान रखा जाता है। जो इन्हें पढ़ना, समझना जानता है, वह दो मिनट में आप को सब कुछ बता सकता है, जो भी आप जानना चाहें। अगर आप इस बारे में प्रशिक्षित नहीं हैं तो आप इन पर कई दिन बिता कर भी कुछ नहीं जान पायेंगे।

इसी तरह से भृगु ने कुछ ऐसे लोगों को प्रशिक्षित किया जिनमें सहज ज्ञान, अंतर ज्ञान का ऐसा आयाम था कि वे इन नक्शों को पढ़ सकें, क्योंकि यह कोई तर्क प्रधान मामला नहीं था। जब आप इन लोगों (भृगु संहिता जानने वालों) के सामने बैठते हैं तो वे आप के भूत और भविष्य को नहीं देखते, वे सिर्फ एक मानचित्र पढ़ रहे होते हैं, एक सहज ज्ञान का नक्शा, और वे पता लगाने की कोशिश करते हैं कि परिस्थितियां किस प्रकार से बनेंगी।

जरुरी नहीं कि ये जानकारी हर समय सही हो, क्योंकि यह पढने वाले व्यक्ति की सक्षमता, विशेषज्ञता पर निर्भर करता है, हर कोई एक ही तरह से पता नहीं लगा सकता। लेकिन मूल विश्लेषण सही होगा। उदाहरण के लिए, हवा के दबाव, आर्द्रता और अन्य तत्वों को देख कर, मौसम विज्ञानी यह भविष्यवाणी कर सकते हैं कि वर्षा होगी, लेकिन ये हमेशा 100% सही नहीं होती, ये थोड़ा इधर-उधर हो सकता है कि वर्षा यहां होने के बजाय वहां हो, क्योंकि प्रकृति में चीजें इधर-उधर होती है। लेकिन जब वातावरण में कुछ गतिविधियां बदलेंगी, तो वर्षा तो होगी ही। ये बस वैसा ही है। ये लोग (भृगु संहिता जानने वाले) अपना काम तब तक नहीं कर सकते, जब तक कि वे एक खास अवस्था में न हों। सामान्य रूप से ये काम कुछ विशेष मंदिरों के आसपास ही होना चाहिए, लेकिन आजकल वे आर्थिक, व्यापारिक दृष्टि से अलग अलग स्थानों पर होते हैं तो यह उतना प्रभावात्मक नहीं रह गया है, लेकिन आज भी ऐसे लोग हैं जो एकदम सही, सटीक बताते हैं।

Bhrigu Samhita – Forecast of the Future of Humanity क्या सबकुछ पहले से तय होता है?

क्या इसका अर्थ यह है कि भाग्य पहले से ही तय होता है? नहीं। भाग्य कोई ऐसी चीज नहीं है जो किसी ने किसी के लिये तय की हो। ये आप के ही कर्म हैं। अगर आप का सॉफ्टवेयर एक खास प्रकार का है तो ये स्वाभाविक रूप से एक विशेष ढंग से ही काम करेगा। मान लीजिये कि कोई भविष्यवाणी करता है कि ‘आप इतने वर्ष जियेंगे’। अब आप अगले ही क्षण पहाड़ पर से छलांग लगा सकते हैं! आप का भौतिक शरीर और मानसिक ढांचा ऐसी चीजें हैं, जो आपने स्वयं बनाईं हैं तो आप ये दो चीजें नष्ट कर सकते हैं, लेकिन जीवन के अन्य भागों को आप छू नहीं सकते। वे वैसे ही होंगे जैसा आप का सॉफ्टवेयर है। तो ये लोग जो पढ़ते हैं, बताते हैं, वो आप का सॉफ्टवेयर होता है।

मान लीजिये, आप के कंप्यूटर में एक खास तरह का सॉफ्टवेयर है। अगर आप अपना कंप्यूटर तोड़ डालते हैं, तो भी, जैसे ही आप उसकी हार्ड ड्राइव किसी नये कंप्यूटर में डालते हैं, तो फिर वही चीज नये कंप्यूटर में आ जायेगी। तो आज आप पहाड़ पर से कूद सकते हैं लेकिन कुछ दिनों बाद आप को एक नया कंप्यूटर मिल जायेगा, पर सॉफ्टवेयर वही रहेगा। तो वही चीजें होंगी, कुछ नया नहीं। लेकिन अगर आप आध्यात्मिक मार्ग पर हैं तो, अगर वे लोग वास्तविक हैं, असली हैं, तो वे आप के भविष्य के बारे में भविष्यवाणी नहीं करेंगे। क्योंकि जब कोई कहता है, ‘मैं आध्यात्मिक मार्ग पर हूं’ तो इसका अर्थ है, ‘इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मेरे कर्म क्या हैं, वे चाहे कितने भी बकवास हों, मैं तो उसी रास्ते पर जा रहा हूं, जिस पर मैं जाना चाहता हूं।

मैं मुक्ति की तरफ ही जाऊंगा। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि बाकी की बातें क्या हैं, समाज क्या कह रहा है, मेरा वंश कैसा है, मेरे कर्म क्या हैं, मेरी ग्रह दशा क्या कह रही है, मैं तो वहीं जाऊंगा, जहां मैं जाना चाहता हूं’। आध्यात्म ये है, अपना भाग्य अपने ही हाथ में ले लेना। कुछ भी पहले से तय नहीं है, मृत्यु भी नहीं। सब कुछ आप का बनाया हुआ है। आप के साथ समस्या ये है कि आप अधिकतर चीजें होशपूर्वक, जागरूकता के साथ नहीं करते, तो आप को लगता है कि ये आप पर लादा गया है।

अगर आप कुछ बिना जागरूकता के कर सकते हैं, तो आप वही चीज जागरूकतापूर्वक भी कर सकते हैं। सभी आध्यात्मिक प्रक्रियाओं की पूरी कोशिश यही है – कि गलतियां करते हुए, जीवन को चेतन होकर बनाने के बजाए, आप इसे चेतन होकर बनाएं।

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