India News (इंडिया न्यूज़), Naag Panchami, दिल्ली: लखीमपुर जिले में एक ऐसा स्थान है जिसके बारे में माना जाता है कि यहां की मिट्टी जहां रख दी जाए, वहां सांप नहीं आते। शहर से पश्चिम में करीब नौ किलोमीटर दूर स्थित यह स्थान पौराणिक देवकली तीर्थ के नाम से जानी जाती है। यह जगह महाभारत कालीन राजा जन्मेजय की नाग यज्ञ भूमि के रूप में प्रसिद्ध है।
माना जाता है कि राजा जन्मेजय ने अपने पिता राजा परीक्षित की तक्षक नाग के डसने से हुई मौत का बदला लेने के लिए यहीं पर सर्प यज्ञ किया था। यहां मौजूद सर्पकुंड और कुंड की गहराई में मिलने वाली हवन की भस्म और अवशेष इस मान्यता की पुष्टि करते हैं। यहां ऊंचे टीलों में सांपों के सैकड़ों बिल हैं, जिनमें विभिन्न प्रजातियों के सांप रहते हैं। कभी देवस्थली के नाम से प्रसिद्ध इस स्थान का नाम बिगड़ते-बिगड़ते देवकली हो गया। नाग पूजा और काल सर्प योग निवारण के लिए तंत्र साधना का यह प्रमुख केंद्र है। नाग पंचमी के दिन लोग सर्पकुंड की मिट्टी अपने घरों में लेकर जाते हैं, जिससे उन्हें नागों और सर्पों का डर नहीं रहता।
एक कहानी यह भी है कि कलयुग के प्रारंभ में यहां राजा देवक हुए। उनकी पुत्री देवकली ने यहीं तपस्या की थी। उन्हीं के नाम पर इस स्थान का नाम देवकली पड़ा। राजा देवक ने ही यहां पर देवेश्वर शिव मंदिर की स्थापना की थी। मंदिर परिसर में एक खंडित शिवलिंग स्थापित है। बताते हैं कि मुगलों ने इसे पूरी तौर से नष्ट करने की कोशिश की थी, लेकिन वह इसे सिर्फ खंडित ही कर पाए थे।
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