India News (इंडिया न्यूज),Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्रि 2025 अब अपने समापन की ओर बढ़ रही है। आज नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा की छठी शक्ति माता कात्यायनी की पूजा की जाएगी। आज रवि योग, सौभाग्य योग, शोभन योग, बुधादित्य योग समेत कई शुभ योग भी बन रहे हैं, इन शुभ योगों में मां कात्यायनी की पूजा करने से सभी कार्य सिद्ध होंगे और सुख, शांति और समृद्धि बढ़ेगी। मां के इस स्वरूप में महिषासुर राक्षस का वध हुआ था, इसलिए माता कात्यायनी को महिषासुरमर्दिनी के नाम से भी जाना जाता है। माता कात्यायनी की पूजा करने से सभी रोग और कष्ट दूर होते हैं और मां हर मनोकामना पूरी करती हैं। आइए जानते हैं चैत्र नवरात्रि 2025 के छठे दिन किए जाने वाले माता कात्यायनी के स्वरूप, भोग, आरती और मंत्र
पौराणिक कथाओं के अनुसार महर्षि कात्यायन ने मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए हजारों वर्षों तक कठोर तपस्या की थी। महर्षि की इच्छा थी कि मां भगवती उनकी पुत्री के रूप में जन्म लें। मां ने महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें पुत्री रूप में जन्म लेने का वरदान दिया। महर्षि कात्यायन के यहां जन्म लेने के कारण मां भगवती का नाम कात्यायनी पड़ा।
Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्रि का सातवां दिन आज
माता कात्यायनी के स्वरूप का ध्यान करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और आपके आसपास सकारात्मक ऊर्जा का वातावरण बनता है। साथ ही मन से सभी तरह के नकारात्मक विचार भी दूर हो जाते हैं। माता कात्यायनी का रंग सोने के समान चमकीला है और उनकी चार भुजाएं भी हैं। मां के दाहिने हाथ की ऊपर वाली भुजा अभय मुद्रा में और नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में है। वहीं, बाएं ऊपर वाले हाथ में तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल का फूल है।
पौराणिक कथा के अनुसार महिषासुर के साथ युद्ध में देवता पराजित हो गए थे, तब सभी देवताओं ने अपने कष्टों से मुक्ति के लिए देवी से प्रार्थना की थी। देवी ने महिषासुर के साथ भयंकर युद्ध किया था और इस युद्ध के दौरान थकान दूर करने के लिए देवी ने शहद मिला पान खाया था। इसलिए देवी कात्यायनी की पूजा करते समय शहद मिला पान अवश्य चढ़ाएं।
माता कात्यायनी को पीला रंग बहुत प्रिय है, इसलिए देवी की पूजा करते समय पीले वस्त्र पहनें। देवी को पीले फूल, पीले फल और पीले वस्त्र अर्पित करें। बाद में पूजा की ये सभी सामग्री किसी विवाहित महिला को दे दें।
चन्द्रहासोज्जवलकरा, शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्यात, देवी दानवघातिनी।।
या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।
आज नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाएगी। आज की पूजा भी अन्य दिनों की तरह षोडशोपचार पूजन विधि से की जाएगी। सुबह स्नान-ध्यान करने के बाद माता की चौकी पर जाएं और मां से प्रार्थना करें। इसके बाद चौकी के चारों तरफ गंगाजल छिड़कें। पूरे परिवार के साथ मां की स्तुति करें और मां को कुमकुम, रोली, अक्षत, चंदन, पान-सुपारी आदि अर्पित करें। साथ ही मां को 3 हल्दी की गांठ, पीले फूल चढ़ाएं और शहद का भोग लगाएं। इसके बाद कलश देवता और नवग्रह की भी पूजा करें। मां की आरती के लिए कपूर और घी का दीपक जलाएं और परिवार के साथ मां की आरती करें। फिर दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और अंत में माता रानी से गलतियों के लिए क्षमा मांगें।
जय जय अम्बे, जय कात्यायनी।
जय जगमाता, जग की महारानी।
बैजनाथ स्थान तुम्हारा।
वहां वरदाती नाम पुकारा।
कई नाम हैं, कई धाम हैं।
यह स्थान भी तो सुखधाम है।
हर मंदिर में जोत तुम्हारी।
कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।
हर जगह उत्सव होते रहते।
हर मंदिर में भक्त हैं कहते।
कात्यायनी रक्षक काया की।
ग्रंथि काटे मोह माया की।
झूठे मोह से छुड़ाने वाली।
जय जय अम्बे, जय कात्यायनी।
जय जगमाता, जग की महारानी।
अपना नाम जपाने वाली।
बृहस्पतिवार को पूजा करियो।
ध्यान कात्यायनी का धरियो।
हर संकट को दूर करेगी।
भंडारे भरपूर करेगी।
जो भी मां को भक्त पुकारे।
कात्यायनी सब कष्ट निवारे।
जय जय अम्बे, जय कात्यायनी।
जय जगमाता, जग की महारानी।