जामिना गोम्स
हम जो भी करते हैं, जितना अच्छे से अच्छा कर सकते हैं करना चाहिये। हम अपने चुने हुये व्यवसाय में या घर मे किये जाने वाले कामों मेँ अपनी सारी संभावनाओं का इस्तेमाल करते हुये सर्वश्रेष्ठ होना चाहिये। एक किताब, नाटक, लेख या घर मे कुछ ऐसा है जो हमें जीवन के सर्वाधिक रचनात्मक मार्गों के संपर्क में लाता है, जो हमें दैवी की ओर ले जाता है।
श्रेष्ठता के लिये प्रयास करने का मतलब चीजों को संपूर्णता से करना नहीं है। हम जीवन में जो प्राप्त करते हैं वह अपूर्णताओं से भरा होने के बावजूद उत्कृष्ट हो सकता है। उत्कृष्टता जिम्मेदारी निभाने और जिम्मेदार होने से आती है। अपने बगीचे या बाल्कनी के पौधों को ध्यान से देखो। वे जिस तरह है उसी रूप में उत्कृष्ट हैं। हो सकता है कि हम मशहूर लोगों की फेरिस्त में शामिल न हों या उन लोगों मे पहचाने जाये जो लोकप्रियता की उस फेहरिस्त मे शामिल हो गये हैं, सफलता की यह परिभाषा अत्यंत संकीर्ण है। लेकिन जो कुछ भी हम पूरे प्रयास के साथ करते है वह हमें हमारे जीवन मूल के निकट ले आता है। कोई कारण अवश्य होगा जिसकी वजह से ईश्वर ने हमें अपूर्ण बनाया है। अगर नहीं तो हम मानव जीव अपने को बेहतर बनाने की कोशिश कभी नहीं करते। हमसे दयालु और संवेदनशील होने की अपेक्षा कभी नहीं की जाती।
हम दूसरों के साथ तादात्म्य की कोशिश कभी नहीं करते। हम वह गहराई और समझ विकसित नही करते जो हमे अच्छा मनुष्य बनाती है। हम कुम्हार को अपने चाक पर सामंजस्य और संतुलन का संसार रचते देखते है, बुनकर उन पैटर्नो और दिजाइनों की रचना करते हैं जो सुंदर हैं। हम यंत्रों और प्रौद्योगिकियों का आविष्कार करते है जो हमें दैनिक जीवन के लाभदायक उत्पाद बनाने में मदद करती हैं। हम उन मजबूत इमारतों को देख कर अचम्भा करते हैं जो राज-मिस्त्री ने बनाईं हैं, उपासना स्थलों की आकर्षक और सम्मोहक गुणवत्ता जो हमे दैवी के निकट लाती है।
हम उस ब्रह्माण्ड मे विकसित होते है जो उद्घाटित हो रहा है। जीवन के बृहत्तर पटल पर सभी एक मिश्रित चित्र के हिस्से हैं। एक वाद्य यंत्र के तारों की तरह जो संगीत रचता है, हम एक स्वर मे बजाकर अपनी दैवी धुनों की रचना करते हैं जो सारे ब्रह्माण्ड मे गूंजती हैं। हमे औजार दिये गये हैं ताकि हम ईश्वर के साथ सह-रचना कर सकें।
अगर हम लोकप्रियता की या सर्वाधिक धनी या मशहूर लोगों की फेहरिस्त में शामिल नहीं हो पाते हैं तो निराश होने की आवश्यकता नहीं है। अनेक मौन और समर्पित आत्मायें हैं जो पर्दे के पीछे काम करतीं हैं। वे बाकी मानव परिवार के साथ एक जिम्मेदारी और भ्रातृत्व के अहसास के साथ अपने चारों ओर उत्कृष्टता के संसार रचतीं हैं। हमें अपने आप को समर्पित करना चाहिये और दुनिया हमारे लिये अपनी बाहें फैला देगी। उद्देश्य और चेतना के साथ काम करने का मतलब है दैवी के साथ जुड़ना।
कभी कभी दूसरे अपना अधूरा काम हमारे लिये पूरा करने को छोड़ जाते है। कभी ऐसा महसूस होता है कि ऐसे व्यक्ति ने काम पूरा किया है जिसने किसी वस्तु को पूरे अंत तक देखा है। काम में कोई पदानुक्रम नही होता है। हाथ और बुद्धि दोनों ही के काम समान रूप से महत्वपूर्ण है, श्रम की गरिमा महत्वपूर्ण है। निश्चित रहो, दैवी योजना मे, ईंट लगाने वाला और बढ़ई उतने ही महत्वपूर्ण है जितने शिक्षक और व्यवसायी। अपनी भीतर की चेतना की पुकार सुनो। तुम अपने जीवन मे जो काम करते हो वह उस दैवी सिम्फनी का हिस्सा है जिसको तुम्हारे व्दारा रचा गया है। अपने सामने उद्घाटित होते हुये सभी अवसरों का पूरा लाभ उठाओ।
तुम इस तरह काम करो जैसे तुम एक दैवी आर्केस्ट्रा का हिस्सा हो। तुम्हारा काम ब्रह्माण्ड और आस पास के जीवन के प्रत्येक रूप से जुड़ा है। सृष्टि का गीत गाओ और अपनी भूमिका निभाओ।
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