India News (इंडिया न्यूज), Maa Ke Gehne: मृत्यु के बाद किसी व्यक्ति की यादें और उससे जुड़ी वस्तुएं ही शेष रह जाती हैं। धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं के अनुसार, मृत व्यक्ति से जुड़ी वस्तुओं को दान करने का रिवाज है, लेकिन गहनों को लेकर हमेशा से अलग नियम और धारणाएं रही हैं। आइए जानें कि इन गहनों का क्या महत्व है और इनसे संबंधित नियमों का क्या आधार है।

गहनों का अधिकार: बेटी या बहू?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यदि महिला जीवित है और अपनी इच्छानुसार अपने गहने अपनी बहू, देवरानी, जेठानी या किसी अन्य को दे देती है, तो यह उसका निजी निर्णय होता है।

लेकिन, मृत्यु के बाद महिला के शरीर पर मौजूद गहनों का अधिकार उसकी बेटी को होता है। इसके अतिरिक्त, ये गहने बेटी की बेटी (नातिन) को भी दिए जा सकते हैं।

गहनों का उपयोग यदि कोई अन्य व्यक्ति करता है, तो धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह उसके लिए अशुभ हो सकता है। गरुड़ पुराण में इस विषय पर विस्तार से चर्चा की गई है और इसे गंभीरता से लेने की सलाह दी जाती है।

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मृतक की घड़ी का महत्व और सावधानियां

गरुड़ पुराण के अनुसार, यदि किसी महिला ने मृत्यु के समय घड़ी पहन रखी है, तो इसे किसी अन्य व्यक्ति द्वारा उपयोग करना पूर्णतः वर्जित है। ऐसा माना जाता है कि मृतक की घड़ी बुरे समय और नकारात्मक ऊर्जा को दर्शाती है। इस घड़ी का उपयोग करने से पितृ दोष का खतरा बढ़ सकता है।

घड़ी का निस्तारण:

  1. घड़ी को बहती जलधारा में प्रवाहित कर देना चाहिए।
  2. यदि जलधारा उपलब्ध न हो, तो इसे मिट्टी में दबा देना उचित है।

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धार्मिक दृष्टिकोण और चेतावनी

धार्मिक मान्यताओं में यह दृढ़ विश्वास है कि मृतक के गहनों का सही उपयोग न करने से अनिष्टकारी प्रभाव पड़ सकते हैं। इसलिए इन गहनों का उपयोग करने से पहले धार्मिक परंपराओं का पालन करना अत्यंत आवश्यक है।

मृत्यु के बाद मृतक से जुड़ी वस्तुओं का प्रबंधन और उनका सही उपयोग धार्मिक और सामाजिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। गहनों का अधिकार बेटी को देना और अन्य वस्तुओं को उचित रीति-रिवाज से निस्तारित करना न केवल परंपराओं का सम्मान है, बल्कि इससे परिवार में शांति और समृद्धि भी बनी रहती है।

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