India News (इंडिया न्यूज),Garuda Puran: हिंदू धर्म में 4 वेद और 18 पुराण हैं। इन्हीं में से एक है गरुड़ पुराण, जिसमें जन्म से लेकर मृत्यु तक के कई ऐसे रहस्यों का खुलासा होता है, जिनके बारे में हर किसी को जानना चाहिए। जब परिवार में किसी की मृत्यु हो जाती है, तो अंतिम संस्कार के बाद गरुड़ पुराण पढ़ा जाता है। कहा जाता है कि ऐसा करने से मृतक की आत्मा को सांसारिक मोह-माया छोड़कर वहां से दूर जाने में मदद मिलती है।
गरुड़ पुराण में है जिक्र
हिंदू धर्म में मृत्यु के दौरान भी कुछ नियमों का पालन किया जाता है, जिनका जिक्र गरुड़ पुराण में भी किया गया है। इन्हीं नियमों में से एक नियम यह है कि मृत्यु के बाद शव को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। आइए जानते हैं गरुड़ पुराण के अनुसार शव को अकेला क्यों नहीं छोड़ना चाहिए?
शव को अकेला क्यों नहीं छोड़ा जाता?
- गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत्यु के बाद शव को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। खासकर रात के समय शव को अकेला छोड़ने से परेशानी हो सकती है। क्योंकि रात के समय बुरी आत्माएं सक्रिय होती हैं और मृतक के शरीर में प्रवेश कर सकती हैं। इससे परिवार के सदस्यों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
- गरुड़ पुराण में बताया गया है कि मृतक की आत्मा अंतिम संस्कार तक मृत्यु के आसपास ही रहती है और दोबारा उसके शरीर में प्रवेश करना चाहती है। क्योंकि मृत्यु के बाद भी आत्मा शरीर से जुड़ी रहती है। इसलिए शव को अकेला नहीं छोड़ा जाता।
- इसके अलावा गरुड़ पुराण में दी गई जानकारी के अनुसार, अगर शव को अकेला छोड़ दिया जाए तो उसके आस-पास चींटियों या कीड़ों के आने का डर रहता है। इसलिए शव को कभी भी अकेला नहीं छोड़ा जाता और शव के पास हमेशा कोई न कोई बैठा रहता है।
- ऐसा कहा जाता है कि तांत्रिक क्रियाएं अधिकतर रात में की जाती हैं और अगर शव को रात में अकेला छोड़ दिया जाए तो मृत आत्मा को कष्ट हो सकता है। इसलिए भूलकर भी शव को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए।
- गरुड़ पुराण के अनुसार शव से निकलने वाली गंध से कई तरह के बैक्टीरिया पनपते हैं। यही कारण है कि शव के पास हमेशा कोई न कोई व्यक्ति जरूर बैठता है और वहां धूपबत्ती या धूपबत्ती जलाकर रखता है।
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