धर्म

आज के ही दिन धरती पर प्रकट हुए थे भगवान, किया था ये काम, जाने देव उठनी एकादशी कैसे इंसानों के लिए है वरदान!

India News (इंडिया न्यूज़), Dev Uthani Ekadashi 2024: हर साल कार्तिक मास में देवउठनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा से उठते हैं और संसार का कार्यभार संभालते हैं। इस साल देवउठनी एकादशी 12 नवंबर को मनाई जाएगी। देवउठनी एकादशी का व्रत कथा सुने या सुनाए बिना अधूरा माना जाता है। इसलिए 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी पर देवउठनी एकादशी की व्रत कथा जरूर पढ़ें।

देवउठनी एकादशी व्रत कथा

एक राज्य में देवउठनी एकादशी का व्रत सभी लोग रखते थे। प्रजा और सेवकों से लेकर पशुओं तक को एकादशी पर भोजन नहीं दिया जाता था। एक दिन दूसरे राज्य से एक व्यक्ति राजा के पास आया और बोला, “महाराज! कृपया मुझे नौकरी पर रख लीजिए।” तब राजा ने उसके सामने शर्त रखी कि ठीक है, मैं तुम्हें नौकरी पर रख लूंगा। लेकिन तुम्हें प्रतिदिन खाने को सब कुछ मिलेगा, लेकिन एकादशी के दिन तुम्हें भोजन नहीं मिलेगा। उस व्यक्ति ने उस समय तो हामी भर दी, लेकिन एकादशी के दिन जब उसे फल दिए गए, तो वह राजा के पास जाकर विनती करने लगा- महाराज! इससे मेरा पेट नहीं भरेगा। मैं भूख से मर जाऊंगा। मुझे भोजन दीजिए।

राजा ने उसे शर्त याद दिलाई, लेकिन वह भोजन छोड़ने को तैयार नहीं था, तब राजा ने उसे आटा-दाल-चावल आदि दिए। वह हमेशा की तरह नदी पर पहुंचा, स्नान किया और भोजन पकाने लगा। जब भोजन तैयार हो गया, तो वह भगवान को पुकारने लगा- आओ भगवान! भोजन तैयार है। उसके बुलाने पर भगवान पीले वस्त्र धारण कर चतुर्भुज रूप में आये और उसके साथ प्रेमपूर्वक भोजन करने लगे। भोजन करके भगवान अन्तर्धान हो गये और वह अपने कार्य में व्यस्त हो गया।

इन 3 राशि के जातकों के लिए मंगल का शुभ योग साबित हो सकता है मंगलकारी, नौकरी में होगा बड़ा मुनाफा, जाने राशिफल

जब राजा के सामने प्रकट हुए भगवान

15 दिन बाद अगली एकादशी को उसने राजा से कहा, “महाराज, मुझे दोगुना भोजन दीजिए। उस दिन मैं भूखा रह गया।” राजा ने कारण पूछा तो उसने बताया कि भगवान भी हमारे साथ भोजन करते हैं। अतः यह भोजन हम दोनों के लिए पर्याप्त नहीं है। यह सुनकर राजा को बड़ा आश्चर्य हुआ। उसने कहा, “मुझे विश्वास नहीं होता कि भगवान आपके साथ भोजन करते हैं। मैं इतने व्रत रखता हूँ, इतनी पूजा करता हूँ, परंतु भगवान कभी मेरे सामने प्रकट नहीं हुए।

” राजा की बातें सुनकर उसने कहा, “महाराज! यदि आपको विश्वास न हो, तो मेरे साथ चलकर देख लीजिए।” राजा एक पेड़ के पीछे छिपकर बैठ गया। वह व्यक्ति भोजन पकाता रहा और शाम तक भगवान को पुकारता रहा, परंतु भगवान नहीं आए। अंत में उसने कहा, “हे भगवान! यदि आप नहीं आएंगे, तो मैं नदी में कूदकर अपने प्राण त्याग दूँगा।”

जब भगवान नहीं आए तो वह प्राण त्यागने के लिए नदी की ओर बढ़ा। उसके प्राण त्यागने के निश्चय को जानकर भगवान शीघ्र ही प्रकट हुए और उसे रोक कर उसके पास बैठ गए तथा भोजन करने लगे। खाने-पीने के बाद उसे अपने विमान में बिठाकर अपने धाम ले गए। यह देखकर राजा ने सोचा कि जब तक मन शुद्ध न हो, तब तक उपवास करने से कोई लाभ नहीं है। इससे राजा को ज्ञान हुआ। उसने भी पूरी श्रद्धा से उपवास करना शुरू कर दिया और अंत में स्वर्ग की प्राप्ति हुई।

पुराणों के वो ताकतवर 10 राक्षस जिनका वध पहाड़ तोड़ने जितना था मुश्किल, जानें कौन थे वो राक्षस और किन योद्धाओं उतारा मौत के घाट!

Preeti Pandey

Recent Posts

आखिरकार Amitabh Bachchan ने अपने परिवार के लिए उठाया ये कदम, पोस्ट शेयर कर बोले- ‘शायद ही कभी बात करता हूं लेकिन…’

आखिरकार Amitabh Bachchan ने अपने परिवार के लिए उठाया ये कदम, पोस्ट शेयर कर बोले-…

5 minutes ago

Rajasthan Crime: स्कूल जा रही मासूम को बनाया हवस का शिकार, कोर्ट से आया बड़ा फैसला

India News(इंडिया न्यूज),Rajasthan Crime:  राजस्थान के धौलपुर जिले की विशेष पोक्सो अदालत ने वर्ष 2017…

7 minutes ago

पूर्व भारतीय क्रिकेटर अजीत चंदिला ने की भविष्यवाणी, बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में भारत की 3-1 से होगी जीत

Border Gavaskar Trophy 2024: पूर्व भारतीय क्रिकेटर अजीत चंदिला ने आगामी बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के लिए…

14 minutes ago