धर्म

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India News (इंडिया न्यूज़), Everything About Chaturmas 2024: सनातन धर्म में चातुर्मास का विशेष महत्व है। यह पवित्र अवधि हर साल आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से शुरू होती है और कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को समाप्त होती है। इस वर्ष, देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi 2024) से भगवान विष्णु चार माह के लिए योगनिद्रा में चले जाएंगे, जिसे चातुर्मास (Chaturmas 2024) कहा जाता है।

चातुर्मास के दौरान चार महत्वपूर्ण महीने होते हैं: सावन (Sawan 2024), भाद्रपद, अश्विन, और कार्तिक। यह समय अवधि शुभ-मांगलिक कार्यों के लिए अनुकूल नहीं मानी जाती है।

चातुर्मास का महत्व और धार्मिक पालन

1. धार्मिक तपस्या और साधना:

चातुर्मास का समय विशेष रूप से तपस्या, साधना और भक्ति के लिए उपयुक्त माना जाता है। इस अवधि में भक्तजन भगवान विष्णु की आराधना करते हैं और विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों में शामिल होते हैं। इस समय में व्रत, उपवास, और विशेष पूजा-अर्चना का भी बड़ा महत्व है।

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2. संयम और अनुशासन:

चातुर्मास के दौरान संयम और अनुशासन का पालन करना आवश्यक होता है। इस समय में कई लोग मांसाहार, तामसिक भोजन, और अन्य अनैतिक आचरणों से दूर रहते हैं। यह समय आत्म-शुद्धि और मानसिक शांति प्राप्त करने का होता है।

3. प्रकृति और पर्यावरण के प्रति सम्मान:

चातुर्मास का समय बरसात के मौसम के साथ आता है। यह समय कृषि और पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इस समय में पेड़-पौधे और जीव-जंतु पनपते हैं, इसलिए अनावश्यक यात्रा और पर्यावरण को हानि पहुंचाने वाली गतिविधियों से बचने की सलाह दी जाती है।

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प्रमुख धार्मिक तिथियाँ

देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi 2024):

देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा में चले जाते हैं। इस दिन से चातुर्मास की शुरुआत होती है और भक्तजन विशेष व्रत और पूजा करते हैं।

देवउठनी एकादशी (Devuthani Ekadashi 2024):

कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु अपनी योगनिद्रा से जागते हैं और इसे चातुर्मास की समाप्ति के रूप में माना जाता है। इस दिन विवाह और अन्य शुभ कार्यों की शुरुआत होती है।

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चातुर्मास के दौरान सावधानियाँ और नियम

आहार संबंधी नियम:

मांसाहार और तामसिक भोजन से बचें।
प्याज, लहसुन, और भारी मसालों का सेवन कम करें।

आचरण संबंधी नियम:

सत्य और अहिंसा का पालन करें।
किसी भी प्रकार के नशे और बुरी आदतों से दूर रहें।

धार्मिक अनुष्ठान:

नियमित रूप से भगवान विष्णु की पूजा करें।
गीता पाठ, विष्णु सहस्रनाम, और अन्य धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करें।

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चातुर्मास का समय एक आत्म-निरीक्षण और आध्यात्मिक उन्नति का अवसर है। इस पवित्र अवधि में संयम, अनुशासन, और धार्मिक तपस्या का पालन करके हम अपने जीवन को अधिक शुद्ध और पवित्र बना सकते हैं। भगवान विष्णु की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए चातुर्मास का पूर्ण रूप से पालन करें और अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाएं।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

Prachi Jain

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