India News (इंडिया न्यूज), Diwali 2024: दीपावली हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जिसका पूरे वर्ष बेसब्री से इंतजार किया जाता है। यह 5 दिनों का उत्सव होता है, जो धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज पर समाप्त होता है। दीपावली के पर्व का सबसे मुख्य दिन कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है, जब भगवान राम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। अयोध्यावासियों ने अमावस्या की रात को दीपमाला जलाकर भगवान राम का स्वागत किया था। इस पर्व को आज भी भक्तगण दीप जलाकर, पूजा-अर्चना कर और भगवान गणेश व देवी लक्ष्मी की पूजा करके मनाते हैं।
दीपावली की रात को, जब अधिकांश लोग भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा में लीन रहते हैं, उसी समय कुछ तांत्रिक भी तंत्र-मंत्र की साधना में संलग्न रहते हैं। तंत्र विद्या, जिसे काले जादू के नाम से भी जाना जाता है, विशेष सिद्धियों की प्राप्ति के लिए की जाती है। पंडित कल्कि राम के अनुसार, कार्तिक अमावस्या की रात को तांत्रिक शमशान घाट पर जाकर अपनी साधना करते हैं। यह तांत्रिक साधनाएं शक्ति प्राप्ति, शत्रु पर विजय, और लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए की जाती हैं।
तंत्र-मंत्र की यह साधना दीपावली, गुप्त नवरात्रि, या अन्य विशेष रात्रियों में अधिक प्रभावशाली मानी जाती है। हालांकि, तंत्र का उपयोग सदैव कल्याणकारी उद्देश्यों के लिए ही होना चाहिए, क्योंकि दूसरे को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से किया गया कोई भी मंत्र या टोना-टोटका उस व्यक्ति के जीवन और उसकी आने वाली पीढ़ियों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
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पंडित कल्कि राम कहते हैं कि किसी भी प्रकार के तंत्र-मंत्र की साधना करते समय हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम इन्हें केवल कल्याणकारी और शुभ उद्देश्यों के लिए ही प्रयोग करें। तंत्र शास्त्र के अनुसार, अमावस्या की रात पर विशेष शक्तियों की सिद्धि की जाती है, लेकिन यदि इसका गलत उपयोग किया जाता है, तो इसका दुष्प्रभाव साधक और उसकी पीढ़ियों पर पड़ता है। इसलिए जरूरी है कि साधना करते समय सौम्यता, संयम और मर्यादा का पालन किया जाए।
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तंत्र-मंत्र का उपयोग व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए किसी को नुकसान पहुंचाने हेतु नहीं किया जाना चाहिए। ऐसी साधनाओं से किसी का अहित करने पर जीवन में कठिनाइयां बढ़ सकती हैं और इसके दुष्परिणाम जीवन और आने वाली पीढ़ियों पर भी प्रभाव डाल सकते हैं। इसलिए दिवाली की रात को तंत्र-मंत्र साधना करने वालों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी साधना का उद्देश्य केवल कल्याणकारी हो, न कि किसी प्रकार का नुकसान पहुंचाना।
दीपावली का पर्व हमारे लिए आनंद, समृद्धि और शांति का प्रतीक है। इस पर्व पर पूजा-पाठ और धार्मिक क्रियाएं समाज के कल्याण और अपने परिवार के उन्नति के लिए करना ही उचित है।
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