Kharmas 2022: हिन्दू धर्म में पौष मास का विशेष महत्व है। ये महीना भगवान सूर्य की उपासना के लिए उत्तम माना गया है। लेकिन आज यानि 16 दिसंबर से खरमास भी शुरू हो चुका है। जिसमें सभी प्रकार के मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है। बता दें कि खरमास धनु संक्रांति के दिन से शुरू होता है और इसका समापन मकर संक्रांति के दिन हो जाता है। ऐसे में इस अवधि में व्यक्ति को कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए और कुछ गलतियों से पूर्ण रूप से बचना चाहिए।
ऐसा इसलिए क्योंकि खरमास में की गई गलतियों की वजह से व्यक्ति को लम्बे समय तक नुकसान उठाना पड़ सकता है। तो यहां जानिए कि खरमास में भूलकर भी किन गलतियों को भूलकर भी नहीं करना चाहिए।
खरमास में भूलकर भी न करें ये गलतियां
- शास्त्रों में बताया गया है कि व्यक्ति को खरमास की अवधि के दौरान अधिक सतर्क रहना चाहिए। साथ ही उसे कुछ चीजों को करने से बचना चाहिए। यही वजह है कि इस दौरान मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, उपनयन संस्कार इत्यादि पर पूर्ण रूप से पाबंदी लग जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि इन कार्यों को मलमास में करने से जीवन में कई प्रकार की समस्याएं होती हैं और व्यक्ति को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
- इसके साथ शास्त्रों में ये भी बताया गया है कि व्यक्ति को खरमास में कोई नया व्यापार शुरू नहीं करना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि धनु संक्रांति के कारण व्यक्ति को लाभ की बजाय नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए अगर आप किसी नए व्यापार को शुरू करने के विषय में सोच रहे हैं तो इसे खरमास खत्म होने तक टाल दें और 15 जनवरी के बाद इसकी शुरुआत करें।
- वास्तु शास्त्र में बताया गया है कि व्यक्ति को मलमास में नए चीजें जैसे- मकान, वाहन, कपड़े, जूते इत्यादि की खरीदारी नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने से वास्तु दोष बढ़ता है और व्यक्ति को लम्बे समय तक समस्याओं से जूझना पड़ता है। बता दें कि वास्तु दोष के कारण व्यक्ति को आर्थिक, मानसिक व शारीरिक रूप से कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसलिए अगर आप इन सभी चीजों को खरीदने का विचार कर रहे हैं तो उसे कुछ समय के लिए टाल दें।
- शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि खरमास में भगवान, गुरु, माता-पिता, गाय, व स्त्री की निंदा भूलकर भी नहीं करनी चाहिए। साथ ही द्वार पर आए किसी जरूरतमन्द को खाली हाथ भी वापस नहीं भेजना चाहिए और उनका अपमान भी नहीं करना चाहिए। इस नियम को न मानने से व्यक्ति के जीवन में आर्थिक व शारीरिक तौर पर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए इस अवधि में सामर्थ्य अनुसार दान-धर्म जरूर करें।