India News (इंडिया न्यूज),Narak Chaturdashi: सनातन धर्म में कुछ व्रत ऐसे हैं जो नरक से मुक्ति पाने के लिए रखे जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नरक निवारण चतुर्दशी का व्रत माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि यानी चतुर्दशी को रखा जाता है। इस व्रत के बारे में कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति इस व्रत को पूरे विधि-विधान से रखता है, उसे मृत्यु के बाद नरक नहीं जाना पड़ता है। यानी इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति को नरक से भी मुक्ति मिल जाती है। ऐसे में आइए जानते हैं इस महीने कब रखा जाएगा नरक निवारण चतुर्दशी का व्रत और क्या हैं इससे जुड़ी खास बातें।
कब रखा जाएगा व्रत
मिथिला पंचांग के अनुसार माघ कृष्ण चतुर्दशी तिथि 27 जनवरी 2025 को शाम 7:33 बजे से शुरू होगी। जबकि, यह तिथि 28 जनवरी को शाम 7:21 बजे समाप्त होगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार इस साल नरक पीड़ा चतुर्दशी का मंगलवार व्रत 28 जनवरी 2025 को रखा जाएगा। सनातन धर्म में नरक निवारण चतुर्दशी व्रत का विशेष महत्व है। इस व्रत में मुख्य रूप से भगवान शिव की पूजा की जाती है। सिद्धांत है कि इस दिन व्रत रखने और भगवान शिव की पूजा करने से मनचाहा फल मिलता है।
क्यों रखा जाता है नरक स्वास्थ्य चतुर्दशी व्रत?
धर्म शास्त्रों के अनुसार नरक चोट चतुर्दशी का व्रत रखने से भगवान शिव जाने-अनजाने में हुई हर छोटी-बड़ी भूल को माफ कर देते हैं। साथ ही भक्तों को भगवान शिव की विशेष कृपा भी प्राप्त होती है।
नरक निवारण चतुर्दशी पर क्या करें
नरक निवारण चतुर्दशी का व्रत भगवान शिव को समर्पित है, इसलिए इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा की जाती है। ऐसे में नरक निवारण चतुर्दशी के दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक करें। इसके साथ ही शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाएं और पंचाक्षर मंत्र ओम नमः शिवाय या महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करें। कहा जाता है कि नरक निवारण चतुर्दशी के दिन ऐसा करने से भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है।
नरक निवारण चतुर्दशी का व्रत कैसे खोलें
नरक निवारण चतुर्दशी का व्रत विधि-विधान से करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस व्रत में सुबह से सूर्यास्त तक उपवास रखा जाता है। व्रत के दौरान फलाहार का सेवन किया जा सकता है। हालांकि, ज्यादातर लोग इस व्रत को बिना भोजन और फलाहार के रखते हैं। सूर्योदय से सूर्यास्त तक व्रत रखने के बाद इसका पारण किया जाता है। इस व्रत को शाम के समय मीठे फल या पानी पीकर तोड़ा जाता है। नरक निवारण चतुर्दशी के व्रत को बेर खाकर तोड़ना शुभ माना जाता है।
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